कविता ; सब राजी – राजी छोड़ आया

  इक शर्त लगी थी जीवन से , जीता , फिर बाजी छोड़ आया , सब…

कविता ; अमृत

जीवन उसके हाथ मे है मैं भी उसके हाथ में हूँ जीवन मेरे हाथ में है…

कविता ; प्रेम

शब्दों के जाल तथा वाक्यों के ताने बाने से प्रेम का प्रदर्शन कर मग्न हो नाचते…

कृष्ण पक्ष

लुत्फे – शिकस्त इश्क में पाया जो इस कदर। जी चाहता है , हारता रह जाऊं…

वापसी

    शब्द हैं बेप्राण इनको मत बुलाइए मौन की आवाज पर चढ़ पास आइए। शर्म…

सफलता

वे छायावादी हैं दूसरों को लक्ष्य बनाकर प्रतिदिन मुझ पर व्यंगवाण चलाते हैं। ऐसा नहीं कि…

बरसाती

मकान छोटे हो या बड़े साधारण हो या भव्य मैंने उनमें लगे संरक्षक बरसाती की ओर…

प्रेम कविता ; दिल से हम कितना याद करते हैं उन्हें ———— हम कैसे बतायें

मीमांसा डेस्क   दिल से हम कितना याद करते हैं उन्हें हम कैसे बतायें ? हम…

मृत – सत्य

  हर घटना को निपट घटना ही रहने दो संवाद में मत बुनो अर्धसत्य को वरना…

स्वार्थ

मनुष्य के लाभ को धूरी बनाकर प्रकृतिजन्य को परिभाषित करने वाला मनुष्य किसने ये हक दिया…