अमित तिवारी।
किशोर एवं युवावस्था की दहलीज पर शुरुआती कदम बढ़ा रहे बच्चों के जीवन में यह इन दिनों सबसे गंभीर प्रश्नों में से एक है। अपने आसपास देखें, तो संभवत: हर दूसरा बच्चा इस प्रश्न में उलझा दिखाई देगा। कोई खुद इस ब्रेकअप का सामना कर रहा है, तो कोई अपने बेस्ट फ्रेंड का ब्रेकअप देखकर परेशान है। ऐसे में यह सोचना सच में जरूरी हो जाता है कि आखिर ब्रेकअप क्यों होता है?
इस प्रश्न के समाधान तक पहुंचने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि ब्रेकअप किससे होता है?
ब्रेकअप का सामना कर रहे किसी बच्चे के हिसाब से इस प्रश्न का उत्तर है – प्रेमी/प्रेमिका से।
अब यहीं से आगे की राह पर चलते हैं कि क्या सच में ब्रेकअप जिससे हुआ उसके साथ आपका संबंध प्रेमी/प्रेमिका वाला ही था?
और इससे भी बड़ा सवाल ये है कि जब ब्रेकअप नहीं हुआ था, तब सब कुछ कैसा था और अब ब्रेकअप होने के बाद क्या है, जो बदल गया है? साथ ही, अगर ब्रेकअप नहीं होता कभी भी, तो आगे क्या होता? आपने कब तक ब्रेक नहीं होने के बारे में सोचा था? या अगर कभी ब्रेकअप ही नहीं होता, तो क्या होता?
आप सोचेंगे कि भला ये कैसे सवाल हैं। हम तो समाधान देने के बजाय सवाल ही बढ़ाते जा रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। असल में इन सभी छोटे-छोटे प्रश्नों के उत्तर ही हमें असल समाधान तक पहुंचने का रास्ता दिखाने वाले हैं।
पहले सवाल को देखते हैं कि क्या आप सच में प्रेमी/प्रेमिका थे?
इसका उत्तर है – नहीं।
दरअसल प्रेम में होने की स्थिति बहुत अलग होती है। और जब दो लोग प्रेम में होते हैं, तो वहां किसी और बात की तो कोई गुंजाइश ही नहीं होती है। वहां न कोई प्रश्न बचता है, न कोई संदेह होता है, न कोई शिकायत होती है और न ही किसी तरह का ब्रेकअप होता है।
तब फिर आप पूछेंगे कि आप दो लोगों के बीच जो संबंध है या था, उसे क्या कहेंगे?
वैसे तो आजकल के युवा खुद भी स्वयं को प्रेमी/प्रेमिका नहीं कहते हैं। अब लवर होते हैं या फिर गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड होते हैं।
इस रिश्ते के आधार में प्रेम जैसा कुछ नहीं होता है। इसमें सिर्फ होता है आकर्षण। यह आकर्षण रूप का हो सकता है, बातों का हो सकता है, बाहरी व्यक्तित्व का हो सकता है, स्वभाव का हो सकता है, अगर पढ़ाई करते हैं तो अच्छे मार्क्स का हो सकता है, बोलने के तरीके का हो सकता है, अच्छी कद-काठी का हो सकता है, अच्छी आवाज का हो सकता है, अच्छी आंखों का हो सकता है, सुंदर होठों का हो सकता है, बाइसेप्स-ट्राइसेप्स का हो सकता है, किसी खूबसूरत सी ड्रेस में किसी दिन अचानक बहुत खूबसूरत दिखाई देने के बाद उपजा आकर्षण हो सकता है, किसी के सहयोगी व्यवहार का हो सकता है, किसी की बचपने वाली हरकतों का हो सकता है, किसी की बहुत समझदारी वाली आदतों का हो सकता है, किसी की साफगोई का हो सकता है, किसी के मुंहफट अंदाज का हो सकता है, किसी की शर्मीली आंखों का हो सकता है।
आकर्षण के ऐसे कई और भी आधार हो सकते हैं। कभी-कभी तो दो लोग सिर्फ इसलिए भी एक-दूसरे को गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड मानने लगते हैं, क्योंकि बाकी दोस्त या सहेलियां ऐसा कहती हैं कि तुम दोनों की जोड़ी बड़ी अच्छी है। यह वह दौर होता है, जब असल में उनमें से कोई भी जोड़ी का मतलब भी नहीं समझ रहा होता है।
इस बात से यह तो समझा ही जा सकता है कि अगर किसी एक बात का आकर्षण है, तो कभी उसी व्यक्ति में कुछ विपरीत दिख गया, तो आकर्षण टूट भी सकता है।
अब आते हैं अगले प्रश्न पर कि जब ब्रेकअप नहीं हुआ था, तब सब कुछ कैसा था और अब ब्रेकअप होने के बाद क्या है, जो बदल गया है?
अब जैसे-जैसे आप अगले प्रश्नों के उत्तर की ओर बढ़ेंगे, आपके मन का हर संदेह मिटता चला जाएगा।
असल में ब्रेकअप नहीं होने और ब्रेकअप हो जाने के बीच का फर्क यही है कि ब्रेकअप से पहले आप दोनों ही अपने बहुत से जरूरी काम (ज्यादातर मामलों में पढ़ाई) को छोड़कर एक-दूसरे को समय दे रहे होते हैं। कभी फोन पर, कभी मैसेज पर और कभी मिलकर। दोनों को यही उम्मीद रहती है उसका जब मन हो, सामने वाला उपलब्ध रहे। अब आकर्षण का कमाल ऐसा है कि दोनों में से कोई भी उस तिलिस्म को तोड़ना नहीं चाहता है। इसलिए दोनों ही सब कुछ छोड़कर एक-दूसरे के लिए उपलब्ध होने की कोशिश में लगे रहते हैं। लेकिन इसकी एक सीमा तो है। हमेशा तो ऐसा नहीं हो सकता है। कभी तो ऐसा हो ही जाता है, जब एक चाहता है, लेकिन दूसरा समय नहीं निकाल पाता और यही बात बर्दाश्त नहीं हो पाती है। दोनों ने ही एक-दूसरे को ऐसी आदत लगा दी होती है कि कुछ भी अलग होना बर्दाश्त नहीं होता। और बस, यहीं से पड़ने लगती है ब्रेकअप की नींव।
अब अगला सवाल है कि अगर ब्रेकअप नहीं होता कभी भी, तो आगे क्या होता? हमने कब तक ब्रेक नहीं होने के बारे में सोचा था? या अगर कभी ब्रेकअप ही नहीं होता, तो क्या होता? क्या उस रिश्ते में आने से पहले आपने कभी भी उस रिश्ते के भविष्य के बारे में सोचा था?
आप स्कूल या कॉलेज में पढ़ते हैं और गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड बना लिया है। उस रिश्ते का भविष्य क्या है? उस रिश्ते से उम्मीदें क्या हैं?
ईमानदारी से पूछिए तो आपके पास इनका कोई उत्तर ही नहीं है। आपको तो यह भी पता नहीं है कि आपने ये जो रिश्ता बनाया है, इसका उद्देश्य क्या है? जीवन में जो अन्य बहुत से अच्छे दोस्त होते हैं, उनसे यह रिश्ता किस मामले में और क्यों अलग है? इस एक अलग रिश्ते की आपको जरूरत कहां और क्यों थी?
बहुत से लोग इस बात पर आपत्ति जता सकते हैं, लेकिन सत्य यही है। ज्यादातर लोग इस तरह के किसी रिश्ते में सिर्फ किसी अन्य से प्रेरित होकर ही पड़ते हैं। कभी-कभी यह प्रेरणा किसी फिल्म, गाने या सीरियल से भी मिल जाती है। और फिर अंधे कुएं की तरह हम उसमें उतरते जाते हैं।
इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि आकर्षण बिलकुल सहज बात है। किसी का बहुत अच्छा लग जाना, एकदम सामान्य है। दो लोग एक-दूसरे को अच्छे लगने लगें, यह भी स्वाभाविक ही है। सवाल है कि इस आकर्षण को जबरन कोई नाम देने और एक-दूसरे पर खुद को थोपकर कोई रिश्ता बना लेने की जरूरत क्या है?
एक व्यावहारिक प्रश्न पूछिए स्वयं से कि अगर कभी ब्रेकअप न होता, तो क्या होता?
साहित्यिक एवं आदर्शवादी बातों में न जाएं तो किन्हीं दो लोगों के बीच इस प्रकार के किसी रिश्ते की अंतिम परिणति तो विवाह ही है। क्या सच में आप दोनों अपने रिश्ते को उस स्तर तक ले जाने के बारे में सोचते हैं? अगर नहीं, तो फिर ब्रेकअप होने या न होने जैसा है ही क्या? जब उस रिश्ते को कहीं पहुंचना ही नहीं था, तो फिर कहीं तो रुक ही जाना था। चाहे जहां रुके।
अगर आपका उत्तर है कि हां, आप दोनों उस रिश्ते को विवाह तक ले जाना चाहते हैं। तो फिर प्रश्न उठता है कि क्या सच में आप अभी उतने बड़े हो गए हैं कि ऐसा कोई निर्णय ले पाएं। क्या आपको पता भी है कि विवाह और उसकी जिम्मेदारियां असल में होती क्या हैं? आपको पता भी है कि जीवन के संघर्ष होते क्या हैं?
आज जो बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड आपकी एक कॉल पर अपना सब काम छोड़कर आपके लिए उपस्थित है, क्या ऐसा कर पाना हमेशा संभव होगा? जब आपके बीच परिवार से जुड़े और भी रिश्ते आ जाएंगे, तो क्या उन्हें संभालने की परिपक्वता (मैच्योरिटी) है आपमें? और जब तक आप दोनों उस स्तर तक परिपक्व (मैच्योर) होंगे, क्या तब तक का धैर्य है आपमें?
अगर ईमानदारी से सोचने पर आपको लगता है कि इन प्रश्नों का उत्तर आप दोनों की तरफ से हां है, तो फिर विश्वास रखिए, आपका कभी ब्रेकअप होगा ही नहीं। समय के साथ रिश्ता मैच्योर होगा। आप दोनों अपने जीवन में उन सफलताओं तक पहुंचेंगे, जहां तक पहुंचने का लक्ष्य है। लक्ष्य को पाने में एक-दूसरे का संबल बनेंगे। और फिर हमेशा के लिए एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे।
लेकिन,
अगर आपको लगता है कि इन प्रश्नों का उत्तर नहीं में है, तो फिर संभल जाइए। आप किसी प्रेम में नहीं हैं, बल्कि एक जाल में उलझे हुए हैं। यह जाल आपके चारों तरफ आपके परिवेश ने बुना है। आपको गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड सिर्फ इसलिए चाहिए कि कहीं आप इस मामले में सबसे पीछे न रह जाएं। इस रिश्ते की नींव सिर्फ उन हार्मोन्स ने डाली है, जो किशोर होती उम्र में आपके शरीर में बनने लगते हैं। लेकिन हार्मोन्स के बहाव में बने रिश्ते का कोई अस्तित्व नहीं होता है। उस रिश्ते का कोई लक्ष्य नहीं होता, बस ऐसा कोई रिश्ता बना लेना ही आपका लक्ष्य होता है। निश्चित तौर पर ऐसा कोई भी रिश्ता अंत में ब्रेकअप की तरफ ही जाएगा, जिसका कोई भविष्य है ही नहीं।
और एक बात, यह थोड़ा कठोर लग सकता है, लेकिन सत्य यही है कि बिना भविष्य वाले ऐसे कथित रिश्ते आपका पूरा भविष्य नष्ट कर सकते हैं। अगर आप अति आधुनिकता के जाल में फंस गए, तो रिश्ते को ऐसे मोड़ तक लेकर चले जाएंगे, जहां से आपके लिए न आगे बढ़ना संभव होगा और न ही पीछे हटना।
इसका परिणाम यह होगा कि जिस उम्र में आपको अपने जीवन को उज्ज्वल भविष्य को ओर ले जाने का प्रयास करना था, उस उम्र में आप डिप्रेशन और एंजाइटी जैसी वाहियात समस्याओं में उलझे होंगे।
विश्वास कीजिए, ब्रेकअप आपके जीवन में ईश्वर की तरफ से अलार्म कॉल है। स्वीकार कीजिए कि उस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं था और ईश्वर ने एक बार फिर आपको अपने भविष्य की ओर सतर्क होकर कदम बढ़ाने का मौका दिया है।
(समाधान है… कॉलम में ऐसे ही अनुत्तरित लगने वाले प्रश्नों के समाधान पाने का प्रयास होगा। प्रश्न आप भी पूछ सकते हैं। प्रश्न जीवन के किसी भी पक्ष से संबंधित हो सकता है। प्रश्न भाग्य-कर्म के लेखा-जोखा का हो या जीवन के सहज-गूढ़ संबंधों का, सबका समाधान होगा। बहुधा विषय गूढ़ अध्यात्म की झलक लिए भी हो सकते हैं, तो कई बार कुछ ऐसी सहज बात भी, जिसे पढ़कर अनुभव हो कि यह तो कब से आपकी आंखों के सामने ही था। प्रश्न पूछते रहिए… क्योंकि हर प्रश्न का समाधान है।)