कहानी ; दोधारी तलवार

  पूजा हरीश की पत्नी एक सुन्दर – सुशीला गृहिणी पिछले कुछ दिनों से पड़ोस में…

प्रेम कविता ; भूल गये

प्रेम कविता ; अब शब्द हमारे दिल को बहलाना भूल गये , अब यादों के वो…

कविता ; बस फर्क इतना है —–

सारी धरा के साथ में , तेरे जरा से साथ में , बस फर्क इतना है…

कविता ; हैं अश्रू धरोहर , मीत प्रिये ,

हैं अश्रू धरोहर , मीत प्रिये , हारी बाजी की जीत प्रिये। श्रुति दंत कथाओं में…

प्रेम कविता; इक दिल में भी इक दिल है

  क्यूं बतलाएं सबको कि इस दिल में भी इक दिल है ? नजरों का ये…

कविता ; मिलना मुश्किल होता है

छल का ऐसा ताना बाना मिलना मुश्किल होता है। मुझ जैसा कोई घाघ पुराना , मिलना…

कविता ;ना जाने मैं बदल सकूंगा

ना जाने मैं बदल सकूंगा , या कि खुद बदला जाऊंगा ? देख रहा हूं रीत…

कविता ; मैं कलम थामकर यूं ही बढ़ता गया —-

मैं कलम थामकर यूं ही बढ़ता गया , बेतहाशा ही किस्से मैं गढ़ता गया। थोड़ा सच…

कविता ; सब राजी – राजी छोड़ आया

  इक शर्त लगी थी जीवन से , जीता , फिर बाजी छोड़ आया , सब…

मैं पुरुष हूं! मैं महाभारत का साक्षी बना ‘समय’ तो नहीं हूं, परंतु मेरी स्थिति उससे बहुत अलग भी नहीं है

मैं पुरुष हूं! मैं महाभारत का साक्षी बना ‘समय’ तो नहीं हूं, परंतु मेरी स्थिति उससे…