कविता ; बिन बुलाये मेहमान

 

बिन बुलाये मेहमानों की हम बताएं दास्तां ,
जाने कहाँ से दिख गया मेरे घर का रास्ता।

आते ही डोर बेल इतनी जोर से दबाया ,
दुबारा दबाने पर बेचारा बोल ना पाया।

फिर शुरू किया दरवाजे को को खटखटाना ,
यूँ कहिए कि शुरू किया मोहल्ले को जगाना।

दरवाजा खोलकर औपचारिक अभिवादन किया ,
उनकी कर्कश आवाज का रसास्वादन किया।

उन्होने अपना रिश्ता हमें कुछ यूँ बताया ,
कि उस रिश्ते को मैं आज तक न जान पाया।

चाची की बुआ के ननद के भतीजे के मामा हैं ,
हमें लगा दर पे आये सुदामा हैं ।

अपने साथ इलेवन स्टार टीम लाये थे ,
इंजीनियर , डॉक्टर , वैध , हकीम लाये थे।

साथ लाये थे एक स्वस्थ अम्पायर ,
गाड़ी में बिठा दो पिचक जाये टायर।