चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड।
रवि कपूर का जन्म पंजाब के अमृतसर में 7 अप्रैल 1942 को अमरनाथ कपूर और कृष्णा कपूर के घर हुआ, लेकिन इनका बचपन बंबई में बीता। इनकी स्कूली शिक्षा बम्बई के गिरगांव स्थित सेंट सेबस्टियन गोयन हाई स्कूल में हुई जहां इनके सहपाठी राजेश खन्ना थे।
इनके पिता-माता इमिटेशन ज्वेलरी के व्यापारी थे। संयोग से एक बार इनके पिता-माता इनको लेकर फिल्म निर्देशक वी. शांताराम को ज्वेलरी देने गये, जहां निर्देशक रवि की खूबसूरती से काफी प्रभावित हुए और 1959 के अपनी फिल्म ‘नवरंग’ में अभिनेत्री संध्या के साथ अभिनय करने की पेशकश की।
वी. शांताराम ने ही रवि को 1964 की फिल्म ‘गीत गया पत्थरों ने’ में जितेन्द्र के नाम से बेहतरीन अभिनेता के रूप में शामिल किया फिर 1967 में आई ‘फ़र्ज’ इनके लिए हिट फिल्म साबित हुई। फिल्म फर्ज के एक गीत “मस्त बहारों का मैं आशिक…” में इन्होंने बहुत ही ऊर्जावान और उत्साही नृत्य किया जिसके लिए इन्हें ‘जंपिंग जैक’ उपनाम दिया गया। इन्हें 1984 की फिल्म ‘मकसद’ में अपने बचपन के सहपाठी राजेश खन्ना के साथ पहली बार अभिनय का अवसर मिला।
जितेन्द्र विभिन्न अवॉर्ड फंक्शन में कुल सात बार ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से विभूषित हुए इसके अलावा वर्ष 2004 में इन्हें ‘लीजेंड ऑफ़ इंडिया सिनेमा अवॉर्ड से अटलांटिक सिटी में सम्मानित किया गया जो बहुत बड़ा सम्मान था। 2007 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से विभूषित हुए,इसके बाद इन्हें 2012 में ‘लायंस गोल्ड अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। यह अवॉर्ड इन्हें ‘मोस्ट एवरग्रीन रोमांटिक हीरो’ के लिए दिया गया था।
जितेन्द्र के जन्म दिवस पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 826वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में जानकारी दी गई।
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