कहानी ; दोधारी तलवार

 

पूजा हरीश की पत्नी एक सुन्दर – सुशीला गृहिणी पिछले कुछ दिनों से पड़ोस में रहने वाले लड़के , विनय के आचरण से थोड़ा – परेशान सी थी। जब विनय की हरकतें बढ़ने लगी , तो एक दिन पूजा ने परेशान होकर अपने पति हरीश को सारी बात से अवगत कराया।

पति – पत्नी इस बात को लेकर परेशान थे , फिर उन्होंने अपने पहचान के एक विश्वसनीय व्यक्ति रामबाबु से इस बात को लेकर विमर्श किया। रामबाबु ने पूजा से कहा – अरे ये भी कोई बात है ? ये बताओ , जब उसने तुम्हें पहली बार परेशान किया , तब तुमने उसे डांटा था ?,,,

जी नहीं तो  — मैंने सोचा शायद खुद ही मान जाए —- लेकिन जब नहीं माना , तो फिर मैंने इनको बता दिया —-,,,पूजा ने मासूमियत से जवाब दिया —

,,यही तो तुम सब भी ना —-अरे तुमने उसे ढंग से डांटा तो होता— उसकी क्या मजाल , दोबारा तुम्हें कुछ बोल देता। बिना मतलब हरीश को परेशान कर दिया —- ये कोई हरीश को बताने वाली बात थी ? इस से तो तुम खुद भी निबट सकती थी।

रामबाबू ने पूजा को समझाते हुए कहा. यद्यपि फिलहाल जो समस्या बन गयी है , उसका कोई हल नहीं है उनके पास—-पूजा , हरीश की पत्नी एक सुन्दर -सुशीला – गृहिणी पिछले कुछ दिनों से पड़ोस में रहने वाले एक लड़के , विनय के आचरण से कुछ परेशान थी। पूजा ने एक दो बार उसे डांटा भी. फिर जब एक दिन उसकी हरकत ज्यादा बढ़ गयी तो पूजा ने गुस्से में आकर उसे थप्पड़ मार दिया। विनय हतप्रभ सा वहां से चला तो गया , लेकिन उस थप्पड़ के लिए बदले की भावना उसके मन में आ गयी थी।

उसने मोहल्ले के कुछ असमाजिक तत्वों के माध्यम से पूजा के दामन पर कीचड़ उछालने का प्रयास किया, बात बढ़ने लगी तो पूजा ने हरीश को सभी बातों से अवगत कराया।

पति-पत्नी दोनों परेशान थे फिर उन्होंने अपने एक पहचान के विश्वसनीय व्यक्ति रामबाबू के साथ बैठकर इस बात पर विमर्श किया। हम्म —–क्या कर दिए तुमने ? ये बताओ जब उसने पहली बार तुम्हें परेशान किया था, तब तुमने हरीश को बताया था ?

रामबाबू ने पूजा से पूछा जी नहीं तो— मैंने ही डांट दिया था उसे मैंने सोचा मान जायेगा —- फिर उस दिन जब हरकत ज्यादा हो गयी , तो गुस्से में मैंने थप्पड़ मार दिया —-मुझे क्या पता था कि ,,, पूजा ने सफाई देते हुए कहा —

,,यही तो तुम सब भी ना बोलो , हरीश को क्यों नहीं बताया ? दो-चार फिल्में देखकर तुम लोगों को हिरोइन बनने का शौक लग जाता हैं —–तुम्हें क्या लगता है ,ये आजकल के बच्चे तुम्हारे थप्पडों से डर जायेंगे क्या ? ? हरीश को बताया होता शुरुआत में ही , तो ये दिन तो ना देखना पड़ता —अब बोलो क्या होगा ? राम बाबू ने पूजा को समझाते हुए कहा—- यद्यपि जो समस्या सामने आ गयी है , उसका कोई हल नहीं है उनके पास अब मैं ये  सोच रहा हूँ , कि पूजा को करना क्या चाहिए ? उसका तो कोई भी कदम समाज के हिसाब से ठीक नहीं हैं —

इस दोधारी तलवार से बचने के लिए पूजा क्या करें ??

आखिर कब तक पूजा को ही हर बात का दोषी ठहराया जाता रहेगा ? है कोई जवाब इस समाज के पास ?