कविता ; मैं कलम थामकर यूं ही बढ़ता गया —-

मैं कलम थामकर यूं ही बढ़ता गया , बेतहाशा ही किस्से मैं गढ़ता गया। थोड़ा सच…

कविता ; सब राजी – राजी छोड़ आया

  इक शर्त लगी थी जीवन से , जीता , फिर बाजी छोड़ आया , सब…

मैं पुरुष हूं! मैं महाभारत का साक्षी बना ‘समय’ तो नहीं हूं, परंतु मेरी स्थिति उससे बहुत अलग भी नहीं है

मैं पुरुष हूं! मैं महाभारत का साक्षी बना ‘समय’ तो नहीं हूं, परंतु मेरी स्थिति उससे…

जानें क्यूं सच कभी-कभी

जाने क्यूं सच कभी-कभी कमजोर सा मालूम होता है, मन मेरा भी कभी-कभी इक चोर सा…

वर्तमान कभी नहीं आता…

अमित तिवारी यह तो हम बचपन से सुनते चले आए हैं कि कल कभी नहीं आता।…

क्या संबंधों में अपेक्षाएं रखना गलत है? – भाग-2 (स्वार्थ और अभिमान)

अमित तिवारी यह तो हम समझ ही चुके हैं कि संबंध चाहे प्रारब्ध के कारण बना…

क्या संबंधों में अपेक्षाएं रखना गलत है? भाग-1

अमित तिवारी कुछ बातें जो प्राय: हम सभी कहते-सुनते हैं, कि व्यक्ति को संबंधों से अपेक्षा…

हम बच्चों को अच्छा बनना कब सिखाएंगे?

अमित तिवारी हम बच्चों को अच्छा बनना कब सिखाएंगे? निश्चित तौर पर इस प्रश्न से आप में…

क्या करें जब कोई विकल्प ही नहीं बचा?

अमित तिवारी। क्या करूं, अब तो जीवन में कोई विकल्प नहीं बचा है? अब तो बस हार मान…

कैसे पहुंचे उस करियर तक, जो मन को भाए?

कई बार सामने इतने विकल्प दिखने लगते हैं कि यह निश्चित कर पाना मुश्किल हो जाता…