सब राजी – राजी छोड़ आया

 

इक शर्त लगी थी जीवन से ,
जीता , फिर बाजी छोड़ आया ,
सब राजी – राजी छोड़ आया।

तेरी हंसी अल्हड़ पुरवइया सी ,
तेरी बातें सबद रूबइयां सी।

तितली के परों से होंठ तेरे ,
यादें करती गलबहियां सी।

ये सब , हां जी मैं छोड़ आया ,
सब राजी – राजी छोड़ आया।

वो चांद से सब बातें कहना ,
तारों को बना लेना गहना।

इक रोज ना तू मिल पाए तो ,
दिन – रात यूं ही गुमसुम रहना।

रिश्ता साजी मैं छोड़ आया ,
सब राजी – राजी छोड़ आया।