जीवन उसके हाथ मे है
मैं भी उसके हाथ में हूँ
जीवन मेरे हाथ में है
मै भी वही हूँ।
इसलिए जीवन को
मजे से जी रहा हूँ।
क्यों दे रहे हो
प्रलोभन मुझे
अमृत पिलाने का।
अमर बनाने का।
जीवन के आगे अभी
मृत्यु की आशा है
नए की अभिलाषा है
अमरत्व के बाद
नया क्या दोगे मुझे ?
बड़े चालाक हो
जीवित रहते ही मुझे
मृत बनाना चाहते हो।
नहीं चलने दूँगा चालाकी
रखो अमृतघट अपने पास —
और क्यों न इसी वक्त ही
मार दूँ गुलेल
तोड़ दूँ कलश
तेरा विश्वास क्या ?
मैं न स्वीकारु करूँ तो
कल आने वालों को भी
छल छलकाकर शायद
पिला दो वह रस
बना दो अमर उन्हें
और वो अमरत्व के
चुंगल में सदा
छटपटाते रहें।
मौत को बुलाते रहें।
उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।
https://youtube.com/@vikalpmimansa?
https://www.facebook.com/share/1BrB1YsqqF/