कैसे पहुंचे उस करियर तक, जो मन को भाए?

कई बार सामने इतने विकल्प दिखने लगते हैं कि यह निश्चित कर पाना मुश्किल हो जाता है कि हमारे लिए सही कौन सा है?

 

अमित तिवारी

अरे! तुम ये सब्जेक्ट क्यों ले रहे हो? वो वाला सब्जेक्ट लो, उसमें ऑप्शन ज्यादा हैं। तुम्हारा दिमाग तो इतना तेज है, इस सब्जेक्ट में पढ़ाई करो, करियर बन गया तो पैसा बहुत होगा। ये बहुत इनोवेटिव स्ट्रीम है, इसके जैसा तो कुछ है ही नहीं।

ये कुछ ऐसी बातें हैं, जो छात्र जीवन में अमूमन सभी को सुननी पड़ती हैं। अलग-अलग पड़ाव पर, अलग-अलग लोग, अलग-अलग सुझाव देते हैं। हर व्यक्ति आपको अपने अनुभव से सही ही बताने का प्रयास करता है। किसी का उद्देश्य आपको भ्रमित करना नहीं होता, लेकिन अक्सर भ्रम की स्थिति बन जाती है।

कई बार सामने इतने विकल्प दिखने लगते हैं कि यह निश्चित कर पाना मुश्किल हो जाता है कि हमारे लिए सही कौन सा है?

वैसे तो इसका एक पंक्ति में उत्तर दिया जाए तो यही है कि आपको वह करना चाहिए, जिसमें आपकी रुचि है। यदि आप अपनी रुचि के अनुरूप आगे बढ़ेंगे, तो बेहतर कर पाएंगे। यदि आप पैसा या किसी अन्य पैमाने को मानकर चुनाव करना चाहेंगे, तो संभव है कि आपको पैसा अच्छा मिल जाए, लेकिन संतुष्टि मिलना मुश्किल है।

आज अपने इस स्तंभ में हम विस्तार के साथ करियर के सही विकल्प को चुनने के क्रम पर बात करेंगे। हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि रुचि का करियर आखिर चुना कैसे जाए, क्योंकि कई बार किसी सफल व्यक्ति को देखकर उस करियर में रुचि होने लगती है।

हम यदि सोच-समझकर सही विकल्प तक पहुंचेंतो निश्चित तौर पर जो करियर बनेगावह पैसा और संतुष्टि दोनों देने में सक्षम होगा।

बढ़ते हैं विषय पर…

सब्जेक्ट और फिर करियर चुनने की बात आती है तो ज्यादातर लोग इस दृष्टिकोण से सोचना प्रारंभ कर देते हैं कि किस सब्जेक्ट में स्कोप ज्यादा है, किसमें विकल्प ज्यादा मिलेंगे और किसमें पैसा ज्यादा मिलेगा?

यह करियर के बारे में सोचने का सबसे गलत दृष्टिकोण है।

ऐसा क्यों है, इसे कुछ बातों से समझने का प्रयास करते हैं-

–      स्कोप या विकल्प किसी विषय पर नहींआपकी प्रतिभा और क्षमता पर निर्भर करते हैं।

      सफलता एवं विफलता किसी विषय से नहींआपके प्रदर्शन से तय होती है।

      पैसा कम या ज्यादा मिलना किसी विषय से नहींआपकी क्षमता पर निर्भर करता है।

अब आप कहेंगे कि प्रश्न तो वहीं का वहीं रुका हुआ है कि आखिर हम चयन करें कैसे?

इसका पहला उत्तर है आपकी रुचि और दूसरा उत्तर है आपकी परिस्थिति।

इन दोनों ही बातों को आपसे बेहतर तरीके से आपके अतिरिक्त कोई और नहीं समझ सकता है।

बात जब रुचि की होती है, तो अरुचि को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

आप यह भले तय करने में थोड़ा संकोच कर रहे हों कि आपकी रुचि किस विषय में है, लेकिन यह बात अवश्य स्पष्ट होती है कि आपकी अरुचि किसमें है। सबसे पहले स्वयं को ऐसे किसी सब्जेक्ट की ओर कतई न ले जाएं, जिसमें आपकी रुचि नहीं है। पढ़ाई के साथ-साथ हमें यह समझ आ जाता है कि किस विषय में हमारी रुचि नहीं है। इसलिए जब आप विषय चुनने की स्थिति में आ जाएं, तब सबसे पहले उस विषय से किनारा कर लीजिए, जिसमें आपकी रुचि नहीं है। हो सकता है कि कोई आपको समझाए कि उस विषय में बहुत ऑप्शन हैं, लेकिन आप विश्वास रखिए कि आपके लिए उससे बेहतर ऑप्शन कहीं और हैं।

अरुचि वाले विषय को हटा देने से चयन थोड़ा आसान हो जाता है।

अब दूसरे पड़ाव पर चलते हैं।

हमारी रुचि साइंस में नहीं है, लेकिन कॉमर्स और आर्ट्स, दोनों में कोई समस्या नहीं है।

या हमारी रुचि आर्ट्स में नहीं है, लेकिन साइंस और कॉमर्स, दोनों में कोई समस्या नहीं है।

ऐसी स्थिति आते ही, अक्सर सोच की दिशा करियर ऑप्शन की ओर मुड़ जाती है।

कोई कहेगा, साइंस से कर लो पढ़ाई, ऑप्शन ज्यादा हैं। या कॉमर्स में भी ऑप्शन की भरमार है। करियर ऑप्शन के मामले में आर्ट्स की तो लोग अक्सर अनदेखी कर देते हैं।

यह सोचना भी सही नहीं है। करियर के ऑप्शन इन सभी में खूब हैं। साइंस से डॉक्टर, इंजीनियर बनने का रास्ता खुलता है।

कॉमर्स से सीए और सीएस का विकल्प खुलता है।

आर्ट्स से तो देश की सबसे बड़ी नौकरी यानी सिविल सर्विसेज का रास्ता खुला ही है। वैसे तो यह विकल्प सभी के लिए है, लेकिन प्राय: आर्ट्स वाले विषयों को ज्यादा लोग चुनते हैं।

कमाई की बात करें, तो इनमें से कोई किसी से कम नहीं है। सब अपनी व्यक्तिगत प्रतिभा पर निर्भर करेगा।

अब अगले पड़ाव पर चलते हैं।

यह पड़ाव है आत्म अवलोकन का।

आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जानता है। एकांत में बैठकर पूरी सत्यनिष्ठा के साथ स्वयं का एक बार आकलन कीजिए। और फिर जिन विषयों या करियर के जिन विकल्पों के बारे में सोच रहे हैंउनके लिए आवश्यक योग्यता का आकलन कीजिए। यदि आप सत्यनिष्ठा के साथ आकलन कर रहे हैंतो आपको काफी हद तक यह समझ आ जाएगा कि आपको किस दिशा में प्रयास करना है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि अभ्यास से व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। लेकिन व्यावहारिक बात यह भी है कि आप सतत रूप से कितना अभ्यास कर सकते हैंवह भी आपको पता होता है। कारण चाहे आपकी परिस्थितियां होंया आपका स्वभावलेकिन आप यह जानते हैं कि आप कितना अभ्यास करने में सक्षम हैं।

जब आप स्वयं का आकलन कर लेते हैं, तो उपलब्ध विकल्पों का दायरा और कम हो जाता है।

संभव है कि इसके बाद भी आप अंतिम विकल्प तक न पहुंचे हों।

तब एक और पड़ाव पार करना होगा। यह भी कुछ-कुछ अपने अवलोकन जैसा ही है। बस दिशा थोड़ी अलग है।

आपके पास जो विकल्प बचे हैं, उनमें अच्छा प्रदर्शन कर चुके लोगों से बात कीजिए। जिस करियर को आप विकल्प के रूप में अपनाना चाह रहे हैं, उसके काम की परिस्थितियों को समझिए। यह जानिए कि आप जो करने के बारे में सोच रहे हैं, असल में उसे कैसे किया जाता है और वहां काम की परिस्थितियां क्या हैं?

जब आपको यह पता लग जाए, तब फिर स्वयं का आकलन कीजिए कि क्या आप स्वभाव के स्तर पर स्वयं को उस काम के योग्य पाते हैं? उदाहरण के तौर पर, आपके सामने अध्यापक एवं इतिहासकार दोनों बनने का विकल्प है। आपकी प्रतिभा दोनों के लायक है। तब आपको यह सोचना और जानना चाहिए कि एक अध्यापक एवं एक इतिहासकार का काम क्या है? दोनों के काम करने की परिस्थितियां कैसी होती हैं? दोनों के समक्ष चुनौतियां किस तरह की आती हैं?

अध्यापक भी बनना है, तो आप किसे पढ़ाने में ज्यादा सहज अनुभव करेंगे, प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के बच्चों को, जो कच्ची मिट्टी होते हैं और उन्हें पूरी तरह से गढ़ने की जिम्मेदारी अध्यापक की होती है या फिर उच्च स्तर पर उन छात्रों को पढ़ाने में ज्यादा सहज होंगे, जो असल में आकार ले चुके घड़े के समान होते हैं और अध्यापक की जिम्मेदारी उन्हें सही आंच में पकाने की होती है। जैसे ही आप उनके काम के प्रकार एवं परिस्थितियों के बारे में अच्छे से समझते हैं, आप यह जान जाते हैं कि आपके स्वभाव के सबसे निकट कौन सा काम है।

यह प्रश्न डॉक्टर और इंजीनियर जैसे विकल्प में से चयन का हो, तब भी उत्तर तक इसी प्रक्रिया से पहुंचा जा सकता है। आप सोचिए कि क्या आपका स्वभाव सर्जन बन पाने का है या आप जनरल फिजिशियन बनकर बेहतर करने में सक्षम हैं? आप किसी की मानसिक समस्याओं को दूर करने में ज्यादा सहज होंगे या किसी की शारीरिक समस्याओं को दूर करने में? इसी तरह इंजीनियर होना भी कई प्रकार का है। उन्हें भी समझिए।

यह प्रश्न आईएएस और अध्यापक के बीच चयन का भी हो सकता है।

यह प्रश्न सीए और साइंटिस्ट बनने के बीच चयन का भी हो सकता है।

आप यदि पूरी सत्यनिष्ठा के साथ इनके कार्य की परिस्थितियों और अपनी रुचि का आकलन करेंगे, तो निसंदेह सही विकल्प तक पहुंच जाएंगे।

जब आपको यह समझ आ जाए कि आपके मन के सबसे निकट कौन सा काम है, बस वही आपके लिए सबसे अच्छा करियर होगा।

क्योंकि यदि आप पूरी निष्ठा के साथ इन पड़ावों के आधार पर आकलन करते हुए किसी विकल्प तक पहुंचेंगे, तो निश्चित तौर पर आप उसी विकल्प तक पहुंचेंगे, जो आपकी रुचि के सबसे अनुकूल है। जब ऐसा विकल्प दिख जाए, तब यह मत सोचिए कि उसमें पैसा अन्य से कम है या ज्यादा।

विश्वास रखिए, यदि आपने अपनी रुचि को समझकर किसी विकल्प को अपनाया है, तो आप उसमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाएंगे। जब प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ के स्तर पर होगा, तो परिणाम स्वत: ही सर्वश्रेष्ठ हो जाएगा।

(समाधान है… कॉलम में ऐसे ही अनुत्तरित लगने वाले प्रश्नों के समाधान पाने का प्रयास होगा। प्रश्न आप भी पूछ सकते हैं। प्रश्न जीवन के किसी भी पक्ष से संबंधित हो सकता है। प्रश्न भाग्य-कर्म के लेखा-जोखा का हो या जीवन के सहज-गूढ़ संबंधों का, सबका समाधान होगा। बहुधा विषय गूढ़ अध्यात्म की झलक लिए भी हो सकते हैं, तो कई बार कुछ ऐसी सहज बात भी, जिसे पढ़कर अनुभव हो कि यह तो कब से आपकी आंखों के सामने ही था। प्रश्न पूछते रहिए… क्योंकि हर प्रश्न का समाधान है।)

 

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