हैं अश्रू धरोहर , मीत प्रिये ,
हारी बाजी की जीत प्रिये।
श्रुति दंत कथाओं में लिखी ,
हर प्रीत की ये ही रीत प्रिये।
है प्रीत राधिके , छल कान्हा ,
मीरा का हर इक पल कान्हा।
है श्रोभ वियोग की यह गाथा ,
अंसुवन से लिखे गीत प्रिये।
हैं अश्रू धरोहर —-
उर्मिल बन त्याग तपोवन सा ,
ज्यों सर्प पगे मृदु चंदन सा।
हैं सुर सारे उखड़े – उखड़े ,
बिरहा के सब संगीत प्रिये।
हैं अश्रू धरोहर ,