कविता ; हैं अश्रू धरोहर , मीत प्रिये ,


हैं अश्रू धरोहर , मीत प्रिये ,
हारी बाजी की जीत प्रिये।

श्रुति दंत कथाओं में लिखी ,
हर प्रीत की ये ही रीत प्रिये।

है प्रीत राधिके , छल कान्हा ,
मीरा का हर इक पल कान्हा।

है श्रोभ वियोग की यह गाथा ,
अंसुवन से लिखे गीत प्रिये।

हैं अश्रू धरोहर —-
उर्मिल बन त्याग तपोवन सा ,

ज्यों सर्प पगे मृदु चंदन सा।
हैं सुर सारे उखड़े – उखड़े ,

बिरहा के सब संगीत प्रिये।
हैं अश्रू धरोहर ,

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