सुकांति साहू।
ग्रामीण क्षेत्रों को मजबूत करने के लिये पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ करना आवश्यक है। इसी के मद्देनजर झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के पंचायती राज अधिकारियों के बीच सदन में विचार-विमर्श किया गया।
इस दौरान जिला परिषद सदस्य जॉन मिरन मुंडा ने पश्चिमी सिंहभूम के पंचायती राज पदाधिकारियों द्वारा देश के प्रधानमंत्री एवं झारखंड के मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में विशेष मांगों के बारे में जानकारी दी।
जॉन मिरन मुंडा ने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम जिले में हो आदिवासियों की संख्या 70 प्रतिशत है, मगर देश की प्रगति होने के बावजूद ये आज भी विकास की मुख्यधारा से दूर हैं।
हो आदिवासियों एवं जिले के विकास के लिये सरकार से कुछ मांग की गई है, जिनमें पेसा कानून को लागू कर पंचायत प्रतिनिधियों को पूर्ण अधिकार देने, पंचायत प्रतिनिधियों को विधायक एवं सासदों की तर्ज पर अपने सचिव से कम से कम 1 रूपया अधिक मानदेय और पेंशन देने, सभी जिला परिषद एवं प्रमुखों को गाड़ी एवं बॉडीगार्ड देने, सरकारी विकास योजनाओं को चलाने के लिये डी.एम.एफ.टी. फंड को पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा खर्च करने, हो भाषा को आठवीं अनुसूचि में शामिल करने, एवं सरकारी कार्यालयों में इसे व्यवहारिक भाषा बनाए जाने की मांग शामिल है।