वर्ष 1705 की ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है वीर बाल दिवस मनाने का संदर्भ- बिहारी लाल शर्मा

शिमला।

आज सिखों के दसवें गुरू, गुरू गोविंद सिंह जी के पुत्रों साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत पर देश में अलग-अलग जगहों में वीर बाल दिवस पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।

वहीं, इस खास दिवस पर भाजपा शिमला ग्रामीण सुन्नी मंडल द्वारा वीर बाल दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें भाजपा प्रदेश महामंत्री बिहारी लाल शर्मा के साथ मंडल अध्यक्ष शिवानी एवं सह कार्यालय सचिव किरण बावा उपस्थित रही।  कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहारी लाल शर्मा ने कहा इस दिन का उद्देश्य समाज और विशेष रूप से युवा पीढ़ी को यह संदेश देना है कि वीरता, शौर्य, सच्चा साहस, आयु और परिस्थिति का मोहताज नहीं होता।

वीर बाल दिवस मनाने का संदर्भ वर्ष 1705 की उस ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है, जब मुगलों ने गुरु गोबिंद सिंह जी से बदला लेने के लिए सरसा नदी पर हमला किया था। इस हमले में गुरु गोबिंद सिंह जी का परिवार बिछड़ गया था। छोटे साहिबज़ादे साहिबज़ादा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और साहिबज़ादा फतेह सिंह (7 वर्ष) अपनी माता गुजरी जी के साथ रसोइए गंगू के घर मोरिंडा पहुँचे, लेकिन, लालच से अंधा हो चुका गंगू, माता गुजरी जी के पास रखे धन को देखकर उनका विश्वास तोड़ बैठा और उसने सरहिंद के नवाब वजीर खां के सिपाहियों के सामने माता गुजरी जी और दोनों साहिबज़ादों को पकड़वा दिया।

मुगल शासक वजीर खां ने माता गुजरी जी और साहिबज़ादों को सरहिंद के किले में ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया। ठंड के प्रचंड प्रहार के बीच माता गुजरी जी ने तीन दिनों तक अपने दोनों पोतों को धर्म और सिद्धांतों पर अडिग रहने की शिक्षा दी। माता जी ने उन्हें समझाया कि धर्म की रक्षा के लिए किसी भी परिस्थिति में सिर नहीं झुकाना चाहिए। इन कठिन परिस्थितियों में भी, 7 और 9 वर्ष के साहिबज़ादों ने वजीर खां के हर प्रलोभन को ठुकरा दिया और इस्लाम स्वीकारने के लिए किए गए सभी प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया।