भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश रहे नूतलपाटि वेंकट रमण

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
न्यायमूर्ति नूतलपाटि वेंकट रमण का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश स्थित कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव के एक किसान परिवार में हुआ।
कॉलेज के दिनों में ये छात्र राजनीति से जुड़े रहे और और पत्रकारिता भी की। इसके बाद 10 फरवरी 1983 को इन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में बैरिस्टर के रूप में अभ्यास शुरू किया और 27 जून 2000 को इन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।  2 सितम्बर 2013 को ये दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और 17 फरवरी 2014 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। इसके बाद  इन्हें 6 अप्रैल 2021 को भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
इन्होंने संवैधानिक, अपराधिक, सेवा और अंतर्राज्यीय नदी कानून में विशेषज्ञ हासिल करने के अलावा विभिन्न सरकारी संगठनों के लिए पैनल काउंसिल के रूप में काम करने के साथ हैदराबाद में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील और रेलवे के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य किया है।
साथ ही  इन्होंने भारत और विदेशों में आयोजित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के नेतृत्व में राज्य की पहली ई-लोक अदालत का आयोजन किया। यह बाड़मेर, जैसलमेर, सिरोही और अन्य जिलों सहित पूरे राज्य में आयोजित किया गया था। लोक अदालत ने ऑनलाइन 45000 मामलों को संभाला, जिसमें 33476 का समाधान किया गया। इस उपलब्धि समारोह में इन्होंने भाग लिया था।
कानून के अलावा इन्हें इन्हें साहित्य और दर्शन में गहरी रुचि है। ये दिल्ली स्थित भारतीय विधि संस्थान की पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष भी रहे इसके अतिरिक्त नेशनल लॉ स्कूल, इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु के जनरल काउंसिल के सदस्य रहे।
नूतलपाटि वेंकट रमण के जन्म दिवस पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 793वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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