पूजा पपनेजा।
यह कहानी विनय कुमार की है उनकी उम्र 25 साल है और बहुत छोटी उम्र में ही विनय की माँ का स्वर्गवास हो गया था। वैसे विनय के दो छोटे- भाई बहन है। विनय कुमार अलीगढ़ के रहने वाले है।
- विनय कुमार की कहानी की शुरुवात
जब विनय 8 साल के थे तभी उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया था । लेकिन इस कारण उनका बचपन बहुत अधिक प्रभावित हुआ। क्योंकि उस समय उनके परिवार में भी कोई उनका साथ देने वाला नहीं था । छोटी सी उम्र में ही माता – पिता के जाने के बाद विनय पूरी तरह से अकेले पड़ गये थे।
जिस वजह से बहुत छोटी उम्र में ही उनके ऊपर अपने भाई – बहनों की जिम्मेदारियाँ आ गई जिसके बाद विनय ने अपना न सोचकर अपने भाई – बहनों के लिए जीना शुरू किया । लेकिन यह कहानी यही तक नहीं रुकी बल्कि विनय की जिन्दगी का संघर्ष यूँही चलता रहा।
उसने अपने बहन – भाइयों का पालन पोषण करने के लिये छोटी – छोटी फैक्ट्रियों में काम करना शुरू किया और इसके साथ ही वह काम से घर – आकर अपने बहन भाइयों के लिये खाना भी बनाते थे।
उसके साथ ही वह रात को बैठकर पढ़ाई भी करते थे और अपने छोटे – बहन भाइयों को भी पढ़ाते थे। वह अपने भाई- बहनों को माता – पिता का प्यार भी देते थे , फिर जैसे – जैसे समय बिता विनय को एक अच्छी नौकरी मिली और बुरा समय निकलता चलता गया, विनय अब पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर है , और उनके बहन – भाई भी एक अच्छी पोस्ट पर नौकरी कर रहे है .
लेकिन इस कहानी में देखने योग्य बात यह है कि विनय ने बहुत छोटी सी उम्र में ही अपनी जिम्मेदारियों को समझा बल्कि उसने अपने बहन – भाई को माता पिता का प्यार भी दिया।
जबकि आज के समय मे अगर हम आपसे आज के युवा पीढ़ी की बात करे तो युवा पीढ़ी के बच्चे अपनी जिम्मेदारियों से भागना चाहते हैं क्योंकि वह कम समय में ही सबकुछ हासिल करना चाहते है।
लेकिन विनय की कहानी हमें एक सीख देखकर जाती हैं कि जीवन में संघर्ष करना बहुत जरूरी है तभी आप जिंदगी में एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकते है।