पुल से दरिया न ये कह पाई है।
सैकड़ों नाव तुमने खाई है।
एक इमारत मरी है ये कहकर।
रेत हमने नहीं पचाई है।
गाँव में गाँव मर गया यारों।
कोई शहरी हवा समाई है।
हमने जलने दिया उन्हें आधा।
जाके तब आग को बुझाई है।
आप भूखे हैं इसलिए हमने।
भूख पर ही ग़ज़ल बनाई है।
एक नम्बर से चल रहीं रोटी।
खीर दो – नम्बरी कमाई है।
तेल – बाती की दोस्ती अब तो।
जल – कमल में बदल के आई है।
उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।