कविता ;न गिरे कोई दुर्योधन

  क्रोध – वैसे तो कभी भी आ सकता है आता ही है पर वर्षा के…

हास्य कविताएँ ; बोर

उनकी रचनायें सुनकर होता नहीं मैं उतना बोर जितना – हर दो पक्तियों के बाद उनका…

हास्य कविताएँ ; नशाबन्दी

नशाबन्दी की जब से सरकार ने की घोषणा। प्यालों की खनखन मधुशालों में लुप्त हुई। पीते…

गजल ; कौन नापा आज तक

  कह रहे हैं वो गगनचुंबी इमारत है मेरी हैं बड़े नादाँ गगन को कौन नापा…

गजल ; झूठ – सच

  जहाँ में झूठ इससे भी बड़ी होती है क्या कोई कि हम हर पल तुम्हें…

कविता ; जाएं तो जाएं कहाँ

  अब तो कॉम्पीटिशन कोई ऐसा चलाया जाए , जिसमें प्रतियोगी को प्रतियोगी बनाया जाए। जिसकी…

गजल  ; पूछा हमने बाबूलाल से

तिल तिल क्यों मरते हो ? पूछा हमने बाबूलाल से। बोले , गालों पर उनके दो…

कविता ; झूठी – खुशी

  मैंने बंद कर दिया पूछना हवाओं से फिजाओं से सूरज , चाँद तारों से अपने…

कविता ; खतराहीन

मैं कई बार कह चुका हूँ अपने साथियों से। अगर ईमान डिगाना ही है तो फुटकर…

कविता ; निर्बल कौन ?

  जंगल में जानवरों की एक बहुत बड़ी बैठक हुई बैठक में दो रखे गए प्रस्ताव…