गजल ; निम्न कब से हुए ?

हमने दिए
शुद्ध घी दूध ,

स्वच्छ पर्यावरण ,
निर्मित जल ,

रमणीया प्रकृति ,
हरे भरे खेत ,

अन्न व फल ,
अप्रदूषित चाँद ,

सूरज , तारे ,
आकाश बादल।

निश्छलता ,
पवित्रता ,
सादगी ,

इमानदारी के
प्रर्याय ढूढ़ने

तुम्हें नहीं उलटना पड़ा
कोई शब्दकोष।

बस हमारा नाम ही
प्रर्याप्त था।

तुमने हमारी
भरपूर प्रशंसा की ,

साहित्य में
उच्च स्थान भी दिया।

पर तभी तक
जब तक हम

तुमसे ,
दूर
बहुत दूर रहे।

ज्यों ही तुम्हारे करीब
सटकर बैठना चाहे

तो तुम्हारी
सारी किताबी प्रशंसा

तिरोहित हो गई।
और तुमने हमें

नाम दिया ,
देहाती , गवाँर

उजड्ड , भद्दा ,
खुरदरा , मोटा —

हम तब भी प्रसन्न थे ,
क्योंकि तुमने सत्य कहा था ,

पर दुख इसलिए है
कि ये सभी विशेषण
निम्न कब से हुए ?

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