गज़ल एक गज़ल की कोशिश

      इस तरह उनके हवाले हो गये थे के नज़र तक पै भी जाले…

ग़ज़ल धोखा

    देख सिंदूरी क्षितिज सोचा उषा को ओढ़ लूँ रंग ने धोखा दिया वह शाम…

तेरी हँसी में कुछ ऐसा जादू है, —– कि उदासी भी मुस्कुराने लगती है।

    मीमांसा डेस्क। तेरी हँसी में कुछ ऐसा जादू है, कि उदासी भी मुस्कुराने लगती…

ग़ज़ल

  रूह का वो साथ बतलाने लगा था। और यक़ी उस पर हमें होने लगा था।…

रातें

रात सोने के लिए बनती है लेकिन जागने की भी कई होती हैं रातें। जेठ की…

गीत ; मगर हैं आदमी हम

सिंधु तट के रेत – कण तेरा निमंत्रण हम न भूले हैं। गुजरते हैं तुम्हारे पास…

ग़ज़ल महानगर

सूरज की किरण सहर शहर में नहीं लाती। दहशत की थाप देर रात से ही जगाती।…

द्रोण व एकलव्य

    मेरा ट्रांसफर होते ही हस्तिनापुर ज्वाइन करने से पूर्व ही हल्ला मच गया एकलव्य…

जीना ज़रूरी है ——-

मीमांसा डेस्क। अक्सर मेरे अनुजों द्वारा मुझसे यह सवाल किया जाता है ,जब जीवन का उद्देश्य…

कविता ; मुझको नहीं सताओ

  क्या हो गई खता ये मुझको जरा बताओ तुम रूठ करके ऐसे मुझको नहीं सताओ…