गज़ल एक गज़ल की कोशिश

      इस तरह उनके हवाले हो गये थे के नज़र तक पै भी जाले…

ग़ज़ल धोखा

    देख सिंदूरी क्षितिज सोचा उषा को ओढ़ लूँ रंग ने धोखा दिया वह शाम…