चिन्मय दत्ता, रांची।
झारखंड में सखी मंडल की महिलाएं 10 लाख तिरंगा तैयार करने में जुटी हैं। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का आह्वान किया गया है। इस अभियान के लिए सखी मण्डल की महिलाओं को 10 लाख तिरंगा निर्माण का लक्ष्य दिया गया है, जिसके लिए राज्य के विभिन्न ज़िलों में स्थापित TPC सेंटर (परिधान उत्पादन ट्रेनिंग-सह-प्रोडक्शन सेंटर) में समूह की महिलाएँ दिन रात जुटकर काम कर रहीं हैं।
तिरंगा निर्माण से जुड़ी लगभग 1,000 से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को ‘ध्वज कोड 2002’ के मानकों के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज निर्माण के लिये प्रशिक्षित किया गया है।
इस बारे में रांची TPC में तिरंगा निर्माण से जुड़ी सविता देवी ने बताया कि , “ झंडा बनाने के पहले हमें ट्रेनिंग देकर बताया गया कि तिरंगा का अनुपात 3:2 रखना है। सिलाई के समय ध्यान रखना है कि अलग रंग के धागे एक दूसरे में न जुड़े आदि । सभी माहिलाएं इस कार्य से जुड़कर बहुत खुश और गौरान्वित महसूस कर रही है। साथ ही वे इस बात से भी खुश हैं कि उन्हें इससे अच्छी आमदनी भी हो रही है ”।
तिरंगा तैयार करने में लगी किरण देवी भी लगी हैं। वह कहती है, “देश के सम्मान को बढ़ाने के लिए हर घर तिरंगा फहराया जाएगा। यह तिरंगा हमारे हाथों से तैयार होकर जाएगा, इससे बड़ी बात और क्या होगी। किरण ने कहा कि कोरोना के समय भी हमने मास्क बनाकर देश की सेवा में अपना योगदान दिया था, लेकिन राष्ट्रध्वज को तैयार करने के इस कार्य में एक अलग ही खुशी महसूस हो रही है । हमलोग राष्ट्रध्वज के नियम- कायदों को पहले समझा और इन्हें तैयार करने में जी-जान से मेहनत कर रहे है।
गौरतलब है कि तिरंगा को अंतिम रूप देने से पहले कई स्टेज पर काम होता है जैसे सिलाई के लिए गाइड लाइन का पालन करते हुए मशीन से सही आकर में काटा जाता है, इसके बाद महिलाओं द्वारा सिलाई की जाती है। सिलाई के बाद इसकी जांच की जाती है कि कही कोई गलती ना हो, इसके बाद आखिरी स्टेज नें स्क्रीन प्रिंटिंग के जरिये आशोक चक्र बनाकर इसकी पैकेजिंग की जाती है। यह सारा काम महिलाओं द्वारा ही किया जा रहा है।
सखी मंडल की यह महिलाएं सिर्फ राष्ट्रध्वज निर्माण ही नहीं, बल्कि आज़ादी के 75वीं वर्षगाँठ पर लोगों के घरों में जाकर उन्हें पोस्टर, बैनर्स, विडियो आदि के माध्यम से राष्ट्रध्वज के महत्व और उसकी गरिमा के विषय में जानकारी भी देंगी।