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तिल तिल क्यों मरते हो ? पूछा हमने बाबूलाल से। बोले , गालों पर उनके दो…
मैंने बंद कर दिया पूछना हवाओं से फिजाओं से सूरज , चाँद तारों से अपने…
मैं कई बार कह चुका हूँ अपने साथियों से। अगर ईमान डिगाना ही है तो फुटकर…
जंगल में जानवरों की एक बहुत बड़ी बैठक हुई बैठक में दो रखे गए प्रस्ताव…
व्यक्ति जब व्यक्ति से कटता है फिर न जाने क्यों मेरे सीने में दर्द होने…
इतने साल बीत गए अभी भी करते हो अंग्रेजों के शासन का बखान सुशासन कहके। बड़े…
मैंने दो तरह के कवि देखे हैं छोटा और बड़ा। छोटा बड़े की बनाई…
जीवन की मृगतृष्णा में मुझे मिल जाता है सचमुच सरोवर मै प्यास भी अपनी बुझा लेता…
ओ सुंगध। तुम अगर अन्न होते तो मैं तुम्हें पकाकर खा जाता कहाँ है इतना धैर्य…
पर्वत की चोटी पर श्वेत चादर बर्फ की दिखती चट्टान सी । मक्खन सी पिघलती …