गाँव में घर के सामने पीपल वृक्ष की धनी छाँव में बैठा करता था पगड़ी बाँधकर।…
Category: कुछ नया
कविता ; हैं अश्रू धरोहर , मीत प्रिये ,
हैं अश्रू धरोहर , मीत प्रिये , हारी बाजी की जीत प्रिये। श्रुति दंत कथाओं में…
कविता ; मिलना मुश्किल होता है
छल का ऐसा ताना बाना मिलना मुश्किल होता है। मुझ जैसा कोई घाघ पुराना , मिलना…
कविता ; मैं कलम थामकर यूं ही बढ़ता गया —-
मैं कलम थामकर यूं ही बढ़ता गया , बेतहाशा ही किस्से मैं गढ़ता गया। थोड़ा सच…