मैंने बंद कर दिया
पूछना हवाओं से
फिजाओं से
सूरज ,
चाँद तारों से
अपने दुख का कारण
क्योंकि वो सभी
आदमी हो गए हैं।
अन्य पुरुष को
उत्तरदाई बताते हैं।
हमदर्दी जताते हैं।
और जब मैं स्वयं से पूछने को
कमरा बंद करता हूँ
तो भय सताता है।
साहस जवाब दे जाता है।
फिर चटखनी खोल मैं
बाहर निकल जाता हूँ।
झूठे उत्तर की
भूलभूलैया में
खो जाने की ,
अपने को बिसराने की ,
नग्न सत्य से हट जाने की ,
अनोखी खुशी पाता हूँ।
उपरोक्त साहित्यिक रचनाएँ स्वर्गीय बी एन झा द्वारा लिखित इन्द्रधनुष पुस्तक से ली गई है ।
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