जंगल में जानवरों की
एक बहुत बड़ी बैठक हुई
बैठक में दो
रखे गए प्रस्ताव
कि सभी जानवरों में
कौन है सबसे कमजोर
और किसके पास है
सबसे अधिक जोर।
उस बैठक में
मानव रूपी जानवर का भी एक
प्रतिनिधि था उपस्थित।
उसने सबसे पहले
बोलना शुरू किया।
हम हैं सबसे ताकतवर।
गीदड़ से शेर तक
सबको मार देते हैं
खाल उतार लेते हैं ।
सभी जानवरों ने
एक साथ समवेत स्वर में
शोर मचा दिया।
मानव को बिठा दिया ।
सर्वसम्मति से निर्णय
लिया गया ।
मानव को सबसे निर्बल
करार दिया गया।
मानव बौखलाया
पर कुछ नहीं कहा पाया
क्योंकि डिसीजन यूनेनिमस था।
शेर था चेयरमैन
सबको उसने शांत किया।
मानव से बोला
अधीर मत होओ
सुनो , तुम्हें निर्बल क्यों
हम सब बतलाते हैं ।
कारण समझाते हैं ।
देखो भाई मानव
बुरा नहीं मानना ।
थोड़ा-थोड़ा निर्बल हम सब हैं।
पर तुमसे बहुत कम हैं।
एक दूसरे पर
चुपके से हम सभी
वार किया करते हैं।
तुम भी चुपके से ही
हम पर वार करते हो।
पर हममें व तुममे
फर्क बस इतना है ,
हम एक दूजे पर
स्वयं वार करते हैं।
कभी अपने हाथ में
बन्दूक नहीं धरते हैं।
उपरोक्त व्यंग स्वर्गीय बी एन झा द्वारा लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है।
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