परीक्षा की तैयारी हर छात्र के लिए उलझन भरा प्रश्न है?

परीक्षा का समय आ रहा है। वैसे तो जीवन में हर पल व्यक्ति को कोई न कोई परीक्षा देनी ही होती है, परंतु अभी हम बात कर रहे हैं स्कूली छात्रों के जीवन में आने वाली परीक्षा की।

परीक्षा की तैयारी हर छात्र के लिए उलझन भरा प्रश्न है। कुछ बच्चे वर्ष भर नियम और दिनचर्या के तहत पढ़ाई करते हैं। उनके लिए परीक्षा का समय बहुत ज्यादा परेशान करने वाला नहीं होता है। परीक्षा के दिनों में भी उनके लिए नियमित स्वाध्याय पर्याप्त होता है।

प्रश्न उन बच्चों के लिए थोड़ा जटिल है, जिन्होंने समय पर पढ़ाई को पर्याप्त समय नहीं दिया। इनमें कुछ ऐसे बच्चे भी हो सकते हैं, जिनके समक्ष पारिवारिक व अन्य कारणों से कुछ ऐसी परिस्थिति आ गई कि वे पर्याप्त समय नहीं दे पाए।

छात्र कोई भी हो, अंतत: परीक्षा के समय पढ़ना और परीक्षा में अच्छे अंक लाना चाहता है। लेकिन क्या आसानी से ऐसा हो पाता है?

अधिकतर बच्चों का उत्तर होगा, नहीं। उनका प्रश्न यही होता है कि सब कुछ पढ़ा, लेकिन कुछ याद नहीं रह पाया। वास्तविकता तो यह है कि अंतिम दिनों की हड़बड़ाहट में उतना भी याद नहीं रह पाता है, जितना सामान्य दिनों में रह जाता था।

इसका समाधान क्या है? इसका समाधान भी प्रश्न के इस हिस्से में छिपा है… ‘सब कुछ पढ़ा, लेकिन…’

कैसे?

इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि आप सामान्य तौर पर दो रोटी खाते हैं। आपने कभी सोचा है कि आपके खाने की प्रक्रिया क्या है? आप रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े करते हैं और फिर एक-एक कर उन टुकड़ों को खाते चले जाते हैं। यदि कोई आपसे एक ही बार में पूरी रोटी खाने को कहे तो निसंदेह आप आधी रोटी भी नहीं खा पाएंगे।

पढ़ाई करते समय यहीं गलती होती है। बच्चे आखिरी दिनों में सब कुछ एक साथ पढ़ लेना चाहते हैं। यह सही तरीका नहीं है। जल्दबाजी कितनी भी हो, रोटी को टुकड़ों में ही खाना चाहिए। परीक्षा के लिए बचे हुए समय के आधार पर अपने बचे हुए पाठ्यक्रम के टुकड़े बनाइए।

एक बार में एक विषय तो छोड़िए, एक पूरा पाठ भी खत्म करने और याद कर लेने का प्रयास मत कीजिए। उत्तम होगा कि छोटे-छोटे टुकड़ों में पढ़िए और याद कीजिए। जब एक टुकड़ा याद हो जाए, तक उससे आगे का हिस्सा पढ़िए और याद कीजिए।

उदाहरण के तौर पर, यदि 100 प्रश्नों वाला कोई पुराना प्रश्न पत्र हल करने का प्रयास कर रहे हैं, तो उसे 10-10 प्रश्नों के टुकड़े में याद कीजिए। 10 प्रश्नों को समझिए और हल कीजिए।

फिर वास्तविक परीक्षा की तरह तय समय के भीतर उन 10 प्रश्नों को हल करने का प्रयास कीजिए। जैसे आप बच्चे हैं, वैसे ही आपके भीतर बसा हुए मन एक और छोटा बच्चा है। उसे सफलता अच्छी लगती है।

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जब आप 10 प्रश्न याद कर लेते हैं और उन्हें तय समय में हल कर पाते हैं, तो मन उत्साहित होता है और अगले 10 प्रश्नों को आप और भी जल्दी याद करने व हल करने में सक्षम हो जाते हैं। और कुछ समय में आप देखते हैं कि आप उन सौ के सौ प्रश्नों को पूरे उत्साह के साथ हल करने में सक्षम हो गए हैं।

इसमें यह भी ध्यान दीजिए कि परीक्षा के समय किसी भी विषय को पूरी तरह से छोड़ा नहीं जा सकता है। इसलिए हर विषय के लिए इसी तरह की प्रक्रिया अपनाते हुए रोज थोड़ा-थोड़ा समय दें। इससे पढ़ाई में रोचकता भी बढ़ती है और परिणाम भी अच्छा आता है।

विश्वास कीजिए… कम समय में इस तरीके से हो सकता है कि आप पूरी दो रोटी न खा पाएं, लेकिन डेढ़ रोटी भी जो आप खाएंगे, पूरे स्वाद के साथ खाएंगे। सभी विषय को समय देना इसलिए भी जरूरी है, ताकि ऐसा न हो कि रोटी खत्म होने से पहले सब्जी खत्म हो जाए। सब कुछ साथ-साथ थोड़ा-थोड़ा खाना ही सर्वश्रेष्ठ तरीका है।

परिणाम सुखद होगा।

(समाधान है… कॉलम में ऐसे ही अनुत्तरित लगने वाले प्रश्नों के समाधान पाने का प्रयास होगा। प्रश्न आप भी पूछ सकते हैं। प्रश्न जीवन के किसी भी पक्ष से संबंधित हो सकता है। प्रश्न भाग्य-कर्म के लेखा-जोखा का हो या जीवन के सहज-गूढ़ संबंधों का, सबका समाधान होगा। बहुधा विषय गूढ़ अध्यात्म की झलक लिए भी हो सकते हैं, तो कई बार कुछ ऐसी सहज बात भी, जिसे पढ़कर अनुभव हो कि यह तो कब से आपकी आंखों के सामने ही था। प्रश्न पूछते रहिए… क्योंकि हर प्रश्न का समाधान है।)

 

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