आज विधिक पेशे में उसी प्रकार प्रतिभावान लोग आकर्षित हो रहे हैं जिस प्रकार पहले चिकित्सा और इंजीनियरिंग के पेशे में होते थे।

सुकांति साहू , रांची।

दीक्षांत समारोह एक ऐसा विशेष अवसर होता है, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा अपने अध्ययन काल में की गई कड़ी मेहनत को लक्ष्यों की प्राप्ति व सफलता हासिल करने से जुड़ते हुए देखते हैं। इस यात्रा में हमारे विद्यार्थी कई असाधारण क्षणों का अनुभव करते हैं। यह समारोह अन्य अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का भी कार्य करता है।

2 अप्रैल, 2022 को नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एण्ड रिसर्च इन लॉ (एन.यू.एस.आर.एल.), राँची द्वारा आयोजित  तृतीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर लॉ के छात्रों को संबोधित करते हुए झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि वर्ष 2010 में स्थापित इस विधि विश्वविद्यालय में देश भर से छात्र-छात्राएं अध्ययन के लिए आते हैं और यह जानकर हर्ष की अनुभूति हो रही है कि यहाँ के विद्यार्थियों ने विधि के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय एवं झारखंड राज्य को गौरवान्वित किया है।  मुझे उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में यहाँ के विद्यार्थी समाज व देश में व्याप्त कानूनी समस्याओं के समाधान में अपना अमूल्य योगदान देने का कार्य करेंगे।

उन्होंने कहा कि  विधि विश्वविद्यालय का उद्देश्य ऐसे अधिवक्ताओं को तैयार करना होता है जो व्यावसायिक रूप से कुशल हों एवं गहन ज्ञान रखते हों। वे न केवल अधिवक्ता और न्यायाधीश बनें बल्कि जन-अपेक्षाओं को पूरा करने तथा भारत के संविधान की रक्षा करने के लिए तैयार हों। आज विधिक पेशे में उसी प्रकार प्रतिभावान लोग आकर्षित हो रहे हैं जिस प्रकार पहले चिकित्सा और इंजीनियरिंग के पेशे में होते थे।

उन्होंने आगे कहा कि आप चाहे कोई भी विधिक शाखा चुनें आपकी सफलता की आधारशिला सभी के मौलिक अधिकारों की रक्षा, नागरिक स्वतंत्रता तथा गरीबों/निर्धनों के अधिकारों की प्राप्ति पर स्थापित होनी चाहिए। नि:स्वार्थ जन-सेवा के उच्च आदर्शों के प्रति स्वयं को समर्पित करें। अन्याय के खिलाफ संघर्ष करें।

 

 

 

 

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