हास-परिहास, मौज-मस्ती और मेल-मिलाप का पावन पर्व है होली

चिन्मय दत्ता,

होली एक प्रमुख भारतीय पर्व है, जिसे लगभग पूरे भारत में मनाया जाता है। विदेशों में रहने वाले भारतीय भी इस पर्व को उत्साह से मनाते हैं। होली पर्व का प्रभाव वसंत पंचमी से शुरू होकर फाल्गुन पूर्णिमा तक चलता है।  हास-परिहास, व्यंग-विनोद, मौज-मस्ती और मेल-मिलाप का पावन पर्व होली एक पौराणिक पर्व है।

इस पर्व का उल्लेख भविष्य पुराण, भविष्योत्तर पुराण, वराह पुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में हुआ है। इन ग्रंथों से ऐसा आभास होता है कि ईसा की कई शताब्दी पहले से ही यह प्रचलित रहा है। इस पर्व को मनाने के पीछे अनेक मत प्रचलित है। जिनमें हिरण्यकश्यप की बहन होलिका और उसके पुत्र प्रहलाद से संबंधित कहानी सबसे अधिक प्रसिद्ध है। अपने पुत्र ईश्वर भक्त प्रहलाद को जलाने के लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाने को कहा, क्योंकि होलिका को  वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि से नहीं जलेगी। लेकिन ईश्वर के माया के सामने किसकी चली है? होलिका ही जल गई और प्रहलाद बच गया। तभी से होली मनाने की प्रथा चल पड़ी।

भारत में सबसे प्रसिद्ध होली ब्रज की मानी जाती है। क्योंकि कृष्ण के जीवन के साथ इसका संबंध रहा है। यह भी मान्यता है कि महर्षि मनु का जन्म भी होली के दिन ही हुआ था। होली के दिन लोग अपने ऊपर लगी पाबंदियों को भूल जाना चाहते हैं और खुलकर आजादी की सांस लेना चाहते हैं।

 

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