महिला मरीज की जान पर आईं आफत, अस्पताल में चल रहा रेफर का खेल

मीमांसा डेस्क,चाईबासा।

इन दिनों गरीब तबके के मरीजों व उनके परिजनों को इलाज एवं ऑपरेशन करवाने के लिए” रेफर पर रेफर ” जैसे घिनौने खेलो का सामना करना पड़ रहा है। बात चाहे सरकारी अस्पताल की हो या निजी अस्पताल की गरीब तबके के मरीजों को पहले तो यहां वहां दौड़ाया जाता है, बाद में मामला प्रकाश में आने पर सहानुभूति दिखाते हुए दाखिला ले लिया जाता है। एक ऐसा ही” रेफर पर रेफर” का अमानवीय  खेल  मिशन कंपाउंड चाईबासा निवासी कल्याणी दत्ता (83) के साथ खेला गया। जो विगत कई महीनों से यूट्रस की बीमारी से पीड़ित थी,उनका तत्काल ऑपरेशन कराए जाने की जरूरत है।

कुछ दिनों पूर्व उनके पुत्र द्वारा सदर अस्पताल में उन्हें इलाज के लिए दाखिल करवाने के लिए लाया गया पर ओपीडी में टालमटोल कर दाखिल नहीं कर उन्हें वापस घर भेज दिया गया। जब वृद्ध महिला की शारीरिक पीड़ा बढ़ने लगी तो उनके पुत्र बुधवार को मां के साथ आयुष्मान कार्ड लेकर टुंगरी के एक निजी नर्सिंग होम गए और इलाज करवाने की बात कही। आयुष्मान से टाईअप होने के बावजूद उक्त नर्सिंग होम द्वारा इलाज नहीं करने की बात कह कर उन्हें वापस भेज दिया गया।

इसके बाद कल्याणी दत्ता के पुत्र द्वारा मामले  की जानकारी नगर परिषद चाईबासा के ब्रांड एंबेसडर राजाराम गुप्ता को दी गई। राजाराम गुप्ता द्वारा मानवीय दृष्टिकोण के मद्देनजर वृद्ध महिला को इलाज के लिए काफी प्रयास के बाद दिनांक 9/3/2022 को सदर अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में रक्त जांच, यूरिन टेस्ट, एक्सरे आदि की जांच करवाकर दाखिल कराया गया।

सिविल सर्जन डॉ  बुका उरांव को महिला की स्थिति के बारे में जानकारी दी और यथासंभव इलाज (ऑपरेशन) करवाने का आग्रह किया। सिविल सर्जन ने उचित पहल करने की बात कही। सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा गुप्ता व महिला मरीज के पुत्र को 3 दिनों बाद  कहा गया कि वृद्ध महिला मरीज की उम्र अधिक है ऐसे में एनेस्थीसिया चिकित्सक ऑपरेशन के लिए सहयोग में तैयार नहीं हो रहे हैं।

ऐसी स्थिति में जमशेदपुर मर्सी अस्पताल में ऑपरेशन करवा दिया जाएगा। जिस पर उनके पुत्र  द्वारा हामी भी भर दी गई।  सोमवार को 108 एंबुलेंस के माध्यम से उनके पुत्र द्वारा माता कल्याणी दत्ता को मर्सी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां दाखिला नहीं लिया गया। इसकी जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय को दी गई। हॉस्पिटल मैनेजर द्वारा फोन कर मर्सी अस्पताल प्रबंधक से वार्ता करने की बात कही जाने लगी।

वहीं महिला मरीज के पुत्र, मर्सी अस्पताल में हाथ जोड़कर आग्रह करने लगे कि सिविल सर्जन कार्यालय चाईबासा की पैरवी पर ना सही कम से कम आयुष्मान कार्ड के माध्यम से मेरी मां का ऑपरेशन कर दें पर मर्सी अस्पताल प्रबंधक ने एक ना सुनी और अस्पताल से बाहर जाने को कह डाला। जब इसकी जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय को हुई तो बहाना बनाया जाने लगा कि चाईबासा से महिला मरीज को एमजीएम के लिए रेफर किया गया था।

महिला मरीज के पुत्र को इन सब घटनाओं से काफी धक्का लगा और उन्होंने कहा कि जब ऑपरेशन नहीं करवाना था तो सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा मर्सी अस्पताल भेजकर रेफर का यह खेल क्यों खेला गया। महिला मरीज के पुत्र ने कहा कि अब अपनी वृद्ध मां को वापस चाईबासा ला रहे हैं। मेरे और मेरी मां के साथ जो अमानवीय  व्यवहार हुआ है इसकी शिकायत पीएमओ कार्यालय से की जाएगी। वही राजाराम गुप्ता ने इस घटना को लेकर एक अमानवीय घटना करार दिया है।

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