अनिल कपूर ऐसे बने अन्नू कपूर।

चिन्मय दत्ता, चाईबासा।

फिल्मी दुनिया में अन्नू कपूर के नाम से विख्यात अनिल कपूर का जन्म 20 फरवरी 1956 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ। इनके दादा डॉक्टर कृपा राम कपूर ब्रिटिश आर्मी में डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे और दादी गंगा राम कपूर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी। इनके पिता मदन लाल कपूर पंजाबी थे और माँ कमल शबनम कपूर बंगाली थी। पिता एक पारसी थियेटर चलाते थे और माँ कवियत्री और क्लासिकल नृत्य में पारंगत थीं।

संघर्ष के दिनों में अन्नू अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए चाय की दुकान चलाते थे। इन्होंने लॉटरी टिकट भी बेचे। इसके साथ ही अभिनय के शौक के लिये दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया।

23 वर्ष की उम्र में इन्होंने 70 वर्षीय वृद्ध का अभिनय किया। इनके अभिनय से प्रभावित होकर प्रसिद्ध निर्देशक श्याम बेनेगल ने इन्हें अवसर दिया। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1979 में बतौर स्टेज आर्टिस्ट के जरिए की। इनकी पहली हिन्दी फिल्म ‘मंदी’ है। अन्नू ने अपने कार्यक्रम में भारत के सकारात्मक पहलुओं को बढ़ावा दिया।

अनिल कपूर के अन्नू कपूर बनने के पीछे वजह भी रोचक है। दरअसल, यह मशहूर अभिनेता अनिल कपूर के साथ भ्रम से बचने के लिए अन्नू कपूर के नाम से अभिनय क्षेत्र में आए। इन्होंने अनिल कपूर के फिल्म 1987 की ‘मिस्टर इंडिया’ और 1988 की ‘तेजाब’ में अभिनय किया। इनके अलावा कई हिन्दी फिल्म एवं सीरियल में अन्नू ने अपनी बेहतरीन प्रतिभा से दर्शकों को प्रभावित किया।

2012 की हिन्दी फिल्म ‘विकी डोनर’ में डॉक्टर बलदेव चड्ढा की अभिनय के लिए इन्हें नेशनल अवार्ड और फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। इनके बड़े भाई रंजीत कपूर निदेशक और पटकथा लेखक हैं। इनकी बहन सीमा कपूर निर्माता और अभिनेत्री हैं।”

अन्नू कपूर के जन्मदिवस पर गैर सरकारी संस्था दर्शन मेला म्यूजियम डेवलपमेंट सोसायटी पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 714वीं कड़ी में सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में उपरोक्त जानकारी दी गई।

 

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