चाईबासा,
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को भारत के हैदराबाद में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय प्रसिद्ध विद्वान एवं मां वरदा सुंदरी देवी कवियत्री थी। 12 वर्ष की आयु में सरोजिनी ने अच्छे अंको से 12वीं के परीक्षा उत्तीर्ण की और 13 वर्ष की उम्र में ‘लेडी ऑफ द लेक’ नामक कविता रची।
1895 में हैदराबाद के निजाम के सहयोग से सरोजिनी नायडू इंग्लैंड गई। इन्हें लंदन के किंग्स कॉलेज और कैंब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन करने का अवसर मिला। इस दौरान ये कविताएं भी लिखती रहीं। ‘गोल्डन थ्रैशोल्ड’ इनकी पहली कविता संग्रह है। इनकी दूसरी और तीसरी कविता संग्रह ‘वर्ल्ड ऑफ टाइम’ और ‘ब्रोकन विंग’ ने इन्हें सुप्रसिद्ध कवियत्री बना दिया। 1898 में सरोजिनी, डॉक्टर गोविंद राजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनी।
वर्ष 1914 में यह महात्मा गांधी से मिलीं और देश के लिए समर्पित हो गई। गांधीजी ने इन्हें ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी थी। 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनी। भारत की स्वतंत्रता के बाद 1947 में ये उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनी। उन दिनों उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रांत था। 2 मार्च 1949 को इनका प्राणांत हो गया। 13 फरवरी 1964 को भारत सरकार ने इनकी जयंती के अवसर पर इनके सम्मान में 15 नए पैसे का एक डाक टिकट जारी किया। इनकी जयंती राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाई जाती है।
उपर्युक्त जानकारी नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से सम्मानित गैर सरकारी संस्था दर्शन मेला म्यूजियम डेवलपमेंट सोसायटी की प्रमुख उपलब्धि पाठक मंच के साप्ताहिक निशुल्क कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 713वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में दी गई।