सुकांति साहू,
खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा TRTC में दो-दिवसीय युवा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें ज़िले के विभिन्न प्रखंडों से लगभग 100 युवाओं ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण में मंच के गठन के उद्येश्य पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम में कहा गया कि पूरा देश पश्चिमी सिंहभूम के खनिज पर चलता है फिर भी यहाँ के आदिवासी-मूलवासी, देश में सबसे अधिक कुपोषित हैं और व्यापक गरीबी का सामना कर रहे हैं। युवाओं का रोज़गार के अभाव में ज़िले से बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। गाँव में सार्वजानिक शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था की दयनीय स्थिति है। खाद्य व पोषण असुरक्षा की स्थिति में जी रहे परिवारों के लिए राशन, मध्याह्न भोजन, आंगनवाड़ी सेवाएं, पेंशन, मनरेगा में काम आदि जीवनरेखा समान हैं, लेकिन ज़िले में इन मौलिक अधिकारों का व्यापक उल्लंघन हो रहा है। इस परिस्थिति को बदलने के लिए लोगों को अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघनों के विरुद्ध आवाज़ उठाना होगा और सरकार व स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह बनाना होगा।
दो दिनों में प्रतिभागियों को विभिन्न कार्यक्रमों के शिकायत निवारण प्रणाली के विषय में बताया गया, एवं राशन, मनरेगा रोज़गार, सामाजिक सुरक्षा पेंशन आदि के अधिकार का उल्लंघन के विरुद्ध शिकायत करने की प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा हुई। साथ ही युवाओं को सोशल मीडिया की जानकारी भी दी गयी।
प्रशिक्षण में एक नारा गूंजता रहा – “हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते”
कार्यक्रम में सूचना के अधिकार कानून पर विस्तृत चर्चा की गई. प्रतिभागियों ने कहा कि विभाग द्वारा आसानी से जानकारी नहीं दी जाती है. सोचने की बात है कि RTI कानून के अनुसार सभी विभागों को स्वतः सम्बंधित योजनाओं, खर्च के बारे में, पदाधिकारियों की जानकारी आदि को सार्वजनिक करना चाहिए। चर्चा में क्षेत्र के आदिवासी-मूलवासी-वंचितों पर हो रहे पुलिसिया दमन पर भी चर्चा हुई, जिसमें कहा गया कि यह आम बात है कि ग्रामीणों को, खास कर के जंगल के गावों में रहने वालो को, सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा नक्सल अभियान में और माओवाद का फ़र्ज़ी आरोप लगाकर विभिन्न रूप से परेशान और शोषित किया जाता है. इस सम्बन्ध में ग्रामीणों के नागरिक अधिकारों और कानूनी प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा हुई।
प्रशिक्षण में एक नारा गूंजता रहा – “हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते”. मंच द्वारा ज़िले में युवा प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार चलाया जा रहा है. यह आशा है कि युवा प्रशिक्षित होकर अपने क्षेत्र के आदिवासी-मूलवासी-वंचितों के जन अधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध शिकायत करने में मदद करेंगे और अधिकारों के संघर्ष के लिए लोगों को संगठित करेंगे।