विकलांग व्यक्ति के संघर्ष की कहानी

 

 

 

पूजा पपनेजा।

यह कहानी दिल्ली के डाबरी मोड़ के रहने वाली शिवम् शर्मा की है। शिवम् वैसे अपने पैरों से विकलांग है। शिवम् पेशे से टीचर है, इसके अलावा वह गरीब बच्चों को भी पढ़ाते है।

  •  कहानी की शुरुवात

शिवम् शर्मा से मेरी मुलाकात दिल्ली के मोती नगर बस स्टैंड पर हुई और वहाँ मैंने देखा कि यह बहुत देर से बस की प्रतीक्षा कर रहे थे।

तभी वहाँ अचानक बस – स्टैंड पर एक बस आयी तो उसके बाद बस वाले ने इनको ऊपर चढ़ाने के लिये अपना हाथ – आगे बढ़ाया तो इन्होंने मना कर दिया और बस वाले से कहा कि सहारे इंसान को खोखला करते है।

इसलिये जीवन में हर व्यक्ति को बिना किसी सहारे के चलना चाहिए। शिवम् शर्मा के ऐसा कहने पर बस वाला आगे बढ़ गया।

फिर ऐसे ही बैठे – बैठे ये बस की प्रतीक्षा करते रहे, उसके बाद वही मेरी इच्छा जागृत हुई कि इनसे मुझे – बातचीत करनी चाहिए तो मैंने उनसे वहाँ खड़े – होकर बातचीत की और उनसे पूछा कि आप क्या करते है तो उन्होंने मुझे बताया कि मै पेशे से टीचर हूँ और गरीब  बच्चों को पढ़ाता हूँ।

फिर उन्होंने अपने साथ होने वाले हादसे के बारे में मुझे बताया जिसमें उन्होने कहा कि 2017 मे मेरा एक बहुत बुरा रोड़ एक्सीडेंट हो गया था जिसमें मेरी दोनों टांगे चली गई जिसके बाद मैं विकलांग हो गया।

वह समय मेरे लिए काफी दुखदायी था, क्योकि उस समय मै दिल्ली से बाहर जाने का विचार कर रहा था।

लेकिन इस बुरे हादसे ने मेरी पूरी जिंदगी को बदलकर रख दिया। वही इस मुश्किल समय में भी मैंने खुद की हिम्मत बनाई रखी।

उसके बाद मैंने अपनी जिंदगी को एक नई  – राह दी जिसमें मैंने गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। वही से मेरी जिंदगी बदलती चली गई।

इस कहानी के आखिरी पड़ाव की बात करे तो इसमें सीखने योग्य बात यह थी , कि शिवम् के साथ इतनी बड़ी सड़क दुर्घटना हुई फिर भी शिवम् ने हार नहीं मानी। बल्कि अपने बुरे समय में सकरात्मकता से आगे बढ़कर अपने जीवन को एक नई दिशा दी। यही सोच हम – सबको रखनी चाहिए।