स्मार्टफोन के लिए कितनी स्मार्टनेस जरूरी है?

वास्तव में समस्या स्मार्टफोन नहींकेवल उसके प्रयोग के तरीके में है।

आज से कुछ साल पहले तक मोबाइल फोन होना भी बहुत बड़ी बात थी। धीरे-धीरे समय बदला और स्मार्टफोन आ गए। आज स्थिति यह है कि हर व्यक्ति अपने पास एक स्मार्टफोन चाहता है। बड़ी आबादी के पास आज स्मार्टफोन पहुंच भी गया है। इंटरनेट की सस्ती उपलब्धता ने स्मार्टफोन की पहुंच को और आसान बनाया है।

स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के बीच अब यह सवाल भी उठने लगा है कि असल में स्मार्टफोन रखना कितना उचित या अनुचित है। झारखंड से हमारे पाठक चिन्मय दत्ता ने यह सवाल किया है।

असल में यह मात्र उनका नहीं आज बहुत बड़े तबके के मन में उठने वाला प्रश्न है कि स्मार्टफोन रखना वास्तव में कितना जरूरी है। स्मार्टफोन का इस्तेमाल उचित है या अनुचित है।

वैसे तो इस समस्या का समाधान भी इसके पहले शब्द के पहले हिस्से में ही है।

वह शब्द है ‘स्मार्ट’।

दरअसल हमें यह समझना होगा कि स्मार्टफोन रखने के लिए भी थोड़ी स्मार्टनेस जरूरी है।

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि स्मार्टफोन ने हमारे जीवन को बहुत आसान बना दिया है। बहुत से ऐसे काम जिनके लिए घंटों लाइन में लगे रहने ही जरूरत होती थी, आज स्मार्टफोन ने उसे हमारे लिए अंगुलियों का खेल बना दिया है। स्मार्टफोन और इंटरनेट के संयोग ने सात समंदर पार बैठे अपने प्रियजनों को देखना और उनसे बातें करना संभव बना दिया है।

स्मार्टफोन की बदौलत इंटरनेट की दुनिया में उपलब्ध अथाह ज्ञान की पूंजी आपकी मुट्ठी में आ गई है। इंटरनेट पर सब कुछ सीखने का मौका मिलता है। असल में देखा जाए तो हम यह प्रश्न और इसका समाधान भी कहीं न कहीं अपने स्मार्टफोन के माध्यम से ही देख-पढ़ पा रहे हैं।

लेकिन…

असल में यह ‘लेकिन’ शब्द किसी भी श्रेष्ठ से श्रेष्ठ वस्तु, व्यक्ति या व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगा देता है। यही प्रश्नचिह्न स्मार्टफोन के प्रयोग पर भी लग जाता है, जब हम देखते हैं कि कोई बच्चा जरूरत से ज्यादा समय स्मार्टफोन पर ही बिता रहा है। सवाल तब उठता है जब हम परिवार के बीच बैठे होकर भी स्मार्टफोन में डूबे रहते हैं।

वास्तव में समस्या स्मार्टफोन नहीं, केवल उसके प्रयोग के तरीके में है। यह ऐसा ही है कि ब्लेड का इस्तेमाल आप शेविंग बनाने में भी कर सकते हैं और किसी की जेब काटने में भी। दोनों ही प्रयोगों में ब्लेड की कोई गलती नहीं होगी। यह आपके विवेक पर निर्भर करता है कि आप उसका प्रयोग किसलिए करेंगे। स्मार्टफोन भी ऐसा ही ब्लेड है। आप चाहें तो इससे कुछ सकारात्मक और सृजनात्मक कर सकते हैं और चाहें तो नकारात्मक और विध्वंसक भी कर सकते हैं।

इस बारीक लकीर पर ध्यान दीजिए कि आप स्मार्टफोन चला रहे हैं या स्मार्टफोन आपको चला रहा है। स्मार्टफोन को स्मार्ट तरीके से प्रयोग कीजिए। उसे उतना ही समय दीजिए जिससे कि परिवार को दिया जाने वाला समय आपके पास बचा रहे। स्मार्टफोन की लत मत लगने दीजिए। मैसेजिंग एप का प्रयोग उतना ही कीजिए, जितना आप उस समय करते थे जब फोन पर 140 शब्द के एक एसएमएस के लिए 1 रुपया चुकाना पड़ता था। ध्यान रखिए कि मैसेज करने की कोई कीमत भले न लग रही हो, लेकिन आपका समय कीमती है। समय चूकने के बाद लाखों-करोड़ों देकर भी आप अपनों के साथ बिताने के लिए कुछ समय नहीं खरीद पाएंगे। स्मार्टफोन पर शॉर्ट वीडियो आपको थोड़ा आनंद तो जरूर दे सकता है, लेकिन आपके छोटे से बच्चे की गतिविधियां उससे ज्यादा आनंददायक होती हैं। कभी उस पर ध्यान देकर तो देखिए।

बस यह जान लीजिए कि स्मार्टफोन का प्रयोग उचित या अनुचित नहीं होता, बस तरीका उचित और अनुचित होता है। उचित तरीके से प्रयोग करें तो स्मार्टफोन हमारी पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा उपहार है। इस उपहार को अपने जीवन का अभिशाप न बनने दीजिए।

(समाधान है… कॉलम में ऐसे ही अनुत्तरित लगने वाले प्रश्नों के समाधान पाने का प्रयास होगा। प्रश्न आप भी पूछ सकते हैं। प्रश्न जीवन के किसी भी पक्ष से संबंधित हो सकता है। प्रश्न भाग्य-कर्म के लेखा-जोखा का हो या जीवन के सहज-गूढ़ संबंधों का, सबका समाधान होगा। बहुधा विषय गूढ़ अध्यात्म की झलक लिए भी हो सकते हैं, तो कई बार कुछ ऐसी सहज बात भी, जिसे पढ़कर अनुभव हो कि यह तो कब से आपकी आंखों के सामने ही था। प्रश्न पूछते रहिए… क्योंकि हर प्रश्न का समाधान है।)

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *