वित्तीय क्षेत्र में साइबर अपराध से निपटने के लिये सरकार ने उठाये कई कदम

साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिये गृह मंत्रालय ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र की स्थापना की। यह केन्द्र साइबर अपराधों से व्यापक तरीके से निपटने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों(एलईए) को एक ढांचा और इकोसिस्टम देने के लिये कार्यालय के रूप में कार्य करेगा।

आम जनता अपने साथ हुए साइबर अपराधों की रिपोर्ट कर सकें, इसके लिये गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, (https://cybercrime.gov.in)  भी लॉन्च किया है।

इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाओं को कानून के प्रावधानों के अनुसार आगे की कार्यवाही के लिए स्वचालित रूप से संबंधित राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों के एलईए को भेजा जाता है।

गौरतलब है कि  वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों की ओर से पैसे की हेराफेरी रोकने के लिए नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली शुरू की गई।

राज्यसभा में एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि अब तक 13.36 लाख शिकायतों से जुड़ी 4,386 करोड़ रुपये लगभग की राशि बचाई गई है। बैंकों, वित्तीय संस्थानों के सहयोग से गृह मंत्रालय की ओर से साइबर अपराधियों की पहचान करने वालों की संदिग्ध रजिस्ट्री भी शुरू की गई है।

डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक,आरबीआई, और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम(एनपीसीआई) की ओर से समय-समय पर विभिन्न पहल की गई हैं। आरबीआई ने वेब और मोबाइल ऐप खतरों से निपटने के लिए फरवरी 2021 में डिजिटल भुगतान सुरक्षा नियंत्रण पर मास्टर निर्देश जारी किए।

इन दिशा-निर्देशों में बैंकों को इंटरनेट, मोबाइल बैंकिंग, कार्ड भुगतान आदि जैसे विभिन्न भुगतान चैनलों के लिए सुरक्षा नियंत्रण के सामान्य न्यूनतम मानकों को लागू करने का निर्देश दिया गया है। आरबीआई ने मनी म्यूल की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एआई आधारित टूल ‘म्यूलहंटर’ भी लॉन्च किया है और बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इसके इस्तेमाल के बारे में सलाह दी है।

इसी प्रकार, एनपीसीआई ने यूपीआई लेन-देन को सुरक्षित करने के लिए ग्राहक के मोबाइल नंबर और डिवाइस के बीच डिवाइस बाइंडिंग, पिन के माध्यम से दो कारक प्रमाणीकरण दैनिक लेन-देन सीमा उपयोग के मामलों पर सीमाएं और प्रतिबंध आदि को भी लागू किया है।

एनपीसीआई सभी बैंकों को एआई/एमएल आधारित मॉडल का इस्तेमाल करके अलर्ट देने और लेन-देन को अस्वीकार करने के लिए धोखाधड़ी निगरानी समाधान भी प्रदान करता है। आरबीआई और बैंक भी छोटे एसएमएस, रेडियो अभियान, साइबर अपराध की रोकथाम पर प्रचार आदि के जरिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं।