पूजा पपनेजा।
दुनिया मे कुछ ऐसी कहानियाँ होती है जो उदाहरण बन जाती है आज हम आपसे एक ऐसी ही कहानी के बारे मे चर्चा करने वाले है यह कहानी रोहित वर्मा की है जो कि दिल्ली मे टैगोर गार्डन के रहने वाले है। उनकी उम्र मात्र 22 साल है इनकी कहानी मे कुछ ऐसा है जो आपके दिल को भी छू जाएगा वैसे तो रोहित वर्मा ने बहुत छोटी सी उम्र मे ही अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ दी थी।
लेकिन उसका भी एक कारण था क्योकि बहुत छोटी उम्र मे उसकी माँ कैंसर जैसी बीमारी से ग्रस्त हो गई थी जिस वजह से रोहित के ऊपर अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है। वैसे तो रोहित अपने परिवार का एक अकेला बेटा था जिसके बाद वह खूब मेहनत करता है और अपने परिवार की ज़िम्मेदारियों को मजबूती के साथ संभालता है।
लेकिन वक्त मे कुछ अच्छा और बुरा दौर उसके साथ बना रहता है और रोहित अपनी माँ को बचाने के लिए रात दिन एक कर देता है और अपनी ज़िन्दगी मे इतनी मेहनत करता है ताकि वह सफल हो जाए।
उसके बाद जब वह सफल हो जाता है तो अपनी माँ का इलाज एक अच्छे अस्पताल मे करवाता है जिसके बाद उसकी माँ ठीक हो जाती है। वैसे भी रोहित का मानना है कि हर खुद को इतना काबिल बना लेना चाहिए ताकि आप किसी पर भी निर्भर न हो ।
आपको बता दें कि रोहित का पूरा परिवार किराये के मकान मे रहता था उसके माता पिता का सपना होता है कि उनका एक अपना घर हो जिसके बाद रोहित अपनी मेहनत के जुड़े पैसे से अपने माता पिता को उनकी सालगिरह पर एक घर गिफ्ट करता है ।
इस तरह से उसके माता पिता का सपना पूरा हो जाता है। दुनिया मे ऐसे बेटे बहुत कम होते है जो अपने माता पिता के लिए सोचते है।लेकिन इस कहानी को अगर हम समझे तो देखेंगे कि यह रोहित के अच्छे संस्कार भी है जो उसके माता पिता ने उसे दिए है और रोहित ने भी इसके साथ ही एक अच्छे बेटे का फ़र्ज़ भी निभाया है।
क्योकि आज के समय मे बहुत कम बच्चे है जो अपने माता पिता की सुनते है जबकि आज के बच्चे छोटी उम्र मे बिना मेहनत किए आराम से जीना चाहते है वही रोहित जैसे भी कुछ लोग है जो अपने माता पिता के लिए जीते है ।
इसके साथ ही आज की पीढ़ी को यह सब सीखने की ज़रूरत है ताकि वह भी अपने माता पिता के लिए कुछ अच्छा करे जिससे समाज मे भी युवा पीढ़ी की सोच मे नया बदलाव आ सके।