पूजा पपनेजा।
दुनिया मे कुछ ऐसी कहानियाँ होती है जो मिसाल बन जाती है। असल मे ऐसी कहानियाँ बहुत कम सुनने देखने को मिलती है । उन्ही कहानियो मे एक कहानी है, विवेक सृजना की जो समाज मे सबके लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करती है । क्योकि हमारे समाज मे डिवोर्स जैसी समस्या बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। आज समाज मे अधिकांश लोग किसी के साथ रिश्ता नहीं निभाना चाहते है, क्योकि हर व्यक्ति किसी मतलब के साथ एक दूसरे से जुड़ा है ।
लेकिन कई बार अलग देखने सुनने को मिलता है, जो रिश्ते पर भरोसे को मजबूत करता है।
ये कहानी है विवेक और सृजना की ।
विवेक सृजना की मुलाकात स्कूल के दिनों मे हुई थी । वैसे तो विवेक सृजना से उम्र मे कुछ साल बड़े थे । इन दोनों की दोस्ती धीरे धीरे प्यार मे बदल गई थी । वे 6 साल तक एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप मे भी रहे थे । फिर इन दोनों ने शादी करने का फैसला किया, ये दोनों आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए थे । अमेरिका मे उन दोनों ने अपनी ज़िन्दगी की एक नई शुरुवात की थी, तभी अचानक विवेक को सिरदर्द रहने लगा, डॉक्टर ने जांच करने पर बताया कि विवेक को चौथे स्टेज का कैंसर है।
ये खबर उन दोनों के लिए एक सदमें जैसी थी क्योकि विवेक सृजना ने अपने जीवन मे कल्पना भी नहीं की होगी, कि उनके साथ ऐसा होगा ? उस परस्थिति का हम आप लोग अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते, कि इन दोनों पर क्या बीती होगी ? इस कहानी मे दिल को छू जाने वाली बात ये थी, कि आज के समय मे लोग बुरी परस्थिति मे एक दूसरे के साथ खड़े भी नहीं होते है। इसमें सृजना विवेक की उस मुश्किल परस्थिति मे भी उसका साथ दें रही थी । उन्होने कैंसर के लास्ट स्टेज तक विवेक की देखभाल की थी । एक अच्छी पत्नी का फ़र्ज़ भी निभाया था । एक दिन ऐसा आता है कि विवेक की तबियत बहुत ज़्यादा खराब हो जाती है, वो इस दुनिया को अलविदा कह देते है।
इस कहानी से एक सीख मिलती है कि कभी मुश्किल परस्थिति मे अपने साथी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए हमेशा हर मुश्किल का डटकर सामना करना चाहिए । क्योकि आज के समय मे ऐसा जीवनसाथी मिल पाना असंभव है सृजना ने ना सिर्फ एक अच्छी पत्नी का फ़र्ज़ निभाया है , बल्कि समाज के सभी लोगो के लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण बनी है । अगर समाज मे सृजना जैसा सच्चा जीवनसाथी हो तो समाज मे तलाक की घटनाएं खत्म हो जाएगी । ये कहानी हमें सोचने को मजबूर करती है हम सबको अपने जीवनसाथी की कद्र करनी चाहिए।