हरी साग सब्जियां स्वास्थ्यवर्धक होती हैं। इसलिये स्वास्थ्य विशेषज्ञ हमेशा भोजन में इसे शामिल करने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियों की बात करें तो पालक सबसे लोकप्रिय है। पालक का प्रयोग खाने को स्वादिष्ट एवं स्वास्थवर्धक बनाने के लिये किया जाता है।
यह आयरन, विटामिन ए एवं सी और एंटीआक्सिडेंट का उत्तम स्त्रोत है। इसके सेवन से शरीर मे कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। पालक की इन्हीं खूबियों के कारण इसकी मांग साल भर बनी रहती है। इसलिये किसान, इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है।
भारत मे पालक की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और गुजरात आदि राज्यों मे की जाती है। पालक की अच्छी पैदावार के लिए ठण्डी जलवायु की आवश्यकता होती है।
ठण्ड में पालक की पत्तियों की बढ़वार अधिक होती है। जबकि तापमान अधिक होने पर इसकी बढ़वार कम होती है। वहीं पालक की खेती मध्यम जलवायु में सालोंभर की जा सकती है। ऐसे मे किसानों को पालक की नयी उन्नत किस्म काशी बारहमासी की खेती करनी चाहिए।
किसान वर्ष भर कर सकते हैं पालक काशी बारहमासी की खेती
पालक काशी बारहमासी मे ऊष्मा सार्द्रता (40-45 डिग्री)और आर्द्रता के प्रति सहनशीलता है। साथ ही इस प्रजाति मे बोलटिंग भी जल्दी नहीं होती है। इस प्रजाति की पत्तियाँ रसीली,आकर्षक गहरे हरे रंग की,चिकनी किनारे वाली होती है।
इन खूबियों की वजह से इस प्रजाति की खेती साल भर की जा सकती है। दिसंबर से फरवरी माह मे बुआई की गई पालक काशी बारहमासी की औसत उपज 120-170क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है वहीं मार्च से जुलाई वाली फसल मे 180-235 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अगस्त से नवम्बर वाली फसल की औसत उपज 500-800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है।
पालक की बुआई करने के 3-4 सप्ताह बाद इसकी 5-6 बार कटाई की जाती है। किसान पालक की पत्तियों और बीज को बेच कर अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते है।
अगर आप भी पालक काशी बारहमासी की व्यावसायिक खेती या किचन गार्डन मे लगाने के लिए इच्छुक हैं तो घर बैठे ही ऑनलाइन शॉपिंग के जरिये इसका बीज राष्ट्रीय बीज निगम (भारत सरकार का उपक्रम) से मँगवा सकते है। बीज ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए राष्ट्रीय बीज़ निगम की वेबसाइट www.indiaseeds.com और ओएनडीसी-माय स्टोर (ONDC-My Store) के ऐप का प्रयोग कर सकते है।