पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की स्मृति में 7 दिनों का राजकीय शोक प्रस्ताव पारित

26 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में  एम्स में निधन हो गया। जिसके चलते भारत सरकार ने देश भर में 7 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है। डॉ. मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को उस समय मजबूत दी, जब देश की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक हो गई थी। वह एक ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिनकी दूरदर्शिता को आज भी याद किया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी, उपराष्ट्रपति सहित देश के सभी नेताओं सहित देश-दुनियां से उनके कार्यों को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की स्मृति में शोक प्रस्ताव पारित किया है। बैठक में मंत्रिमंडल ने दो मिनट का मौन रखकर डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर 01 जनवरी, 2025 तक सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इस शोक अवधि के दौरान पूरे देश में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।

इस दौरान सात दिनों के लिए विदेश में सभी भारतीय उच्चायोगों में भी राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। अंतिम संस्कार के दिन केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में आधे दिन का अवकाश रहेगा। बैठक में कहा गया, केंद्रीय कैबिनेट भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता है।

गौरतलब है कि भारत में जब किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का निधन हो जाता है, तो सरकार राजकीय शोक घोषित करती है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है।

जब देश के किसी महत्वपूर्ण नेता, कलाकार या ऐसी शख्सियत का निधन होता है, जिन्होंने देश की सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर दिया हो, तो उस समय राजकीय शोक की घोषणा की जाती है। यह शोक शख्सियत के योगदान को सम्मान देने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन के अनुसार, राजकीय शवयात्रा के दौरान सार्वजनिक छुट्टी अनिवार्य नहीं है, और इस नियम के तहत अनिवार्य छुट्टी को समाप्त कर दिया गया है। अब केवल राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की मृत्यु होने पर सरकारी छुट्टी होती है, लेकिन सरकार अपनी स्थिति और आवश्यकता के अनुसार छुट्टी का ऐलान कर सकती है।

राजकीय शोक की घोषणा के दौरान कई विशेष मानक होते हैं, जिनमें से एक प्रमुख है राष्ट्रीय ध्वज का आधा झुका रहना। राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका रखने का नियम भारतीय ध्वज संहिता के तहत लागू होता है, और यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण संस्थानों जैसे विधानसभा और सचिवालय में देखा जाता है। इसके अलावा, भारतीय दूतावास और उच्चायोगों में भी ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। राजकीय शोक के दौरान कोई भी औपचारिक सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता, और आधिकारिक मनोरंजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

राजकीय शोक की अवधि और इसकी घोषणा सरकार द्वारा तय की जाती है। इस दौरान सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं होती, लेकिन राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की मृत्यु होने पर यह अनिवार्य होती है। पहले केवल केंद्र सरकार के पास राजकीय शोक की घोषणा का अधिकार था। यह घोषणा केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकते थे। हालांकि, नियमों में बदलाव के बाद राज्य सरकारें भी अब इस प्रकार की घोषणा कर सकती हैं।