नई दिल्ली, 27 दिसंबर।
क्रेडिट कार्ड आज के समय में लोगों की दिनचर्या में शामिल हो चुका है। घर के सामान से लेकर साज-सज्जा और परिधान खरीदते समय क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया जाना आम बात है। इसकी बड़ी वजह खरीदारी के भुगतान के लिये एक से डेढ़ महीने का समय है, वहीं कई बार रिवॉर्ड प्वांइट भी इसका कारण बनते हैं।
कई बार इन कार्ड्स का इस्तेमाल पॉकेट से बढ़कर किया जाता है, और नियत समय पर भुगतान नहीं कर पाते हैं। हालांकि बैंक क्रेडिट कार्ड पर कई जुर्माना भी लगाकर स्टेटमेंट भेजते हैं, मगर उन्हें इससे कुछ ज्यादा फायदा नहीं दिखता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों के हक में फैसला सुनाया है, जो बेशक उन क्रेडिट कार्ड उपभोक्ताओं के लिये परेशान करने वाली खबर है, जो समय पर क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान नहीं करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के 16 साल पुराने एक फैसले को खारिज करते हुए दिया है। बैंक अब ग्राहकों से क्रेडिट कार्ड बकाया पर 30% से ज्यादा ब्याज वसूल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश ऐसे कार्ड यूजर्स के लिए मुसीबत बनने वाला है, जो बिल पेमेंट करने में लापरवाही करते हैं।
ऐसे में अगर आप इस परेशानी से बचना चाहते हैं, तो अपने कार्ड का बिल पेमेंट समय पर करें, इसके अलावा इस आदेश के बाद आपके बैंक ने कितना ब्याज अप्लाई किया है, इस पर भी नजर रखें।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला NCDRC के सात जुलाई, 2008 के आदेश के खिलाफ दायर अपीलों पर आया है। ये अपील, सिटीबैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस, एचएसबीसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंकों ने दायर की थी। NCDRC ने कहा था कि क्रेडिट कार्ड बकाये पर 36 प्रतिशत से 49 प्रतिशत प्रति वर्ष तक की ब्याज दरें बहुत ज्यादा हैं और उधारकर्ताओं के शोषण की तरह हैं।
वहीं क्रेडिट कार्ड इश्यू कराने वाले बैंक इसे हटाए जाने की मांग कर रह थे। बैंको की ओर से दलील दी गई थी कि 30% की लिमिट तय किए जाने के चलते वे क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर्स से ढंग से नहीं निपट पा रहे हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला लिया।
लिहाजा, इस फैसले के बाद क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों को समय पर बिल भुगतान करने के प्रति सचेत रहने की जरूरत है, जिससे वह बैंकों द्वारा चार्ज किये गये अधिकतम ब्याज दरों से बच सकें।