देश में हर साल आते हैं Thalassemia के लगभग 10 हजार मामले

थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रक्त विकार है जिसके चलते शरीर में सामान्य से कम हीमोग्लोबिन होता है। जब हीमोग्लोबीन कम होता है, तब शरीर की लाल रक्त केशिकाएं ठीक से काम नहीं करती। लाल रक्त कोशिकाएं शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। जब लाल रक्त कोशिकाएं पर्याप्त नहीं होती हैं, तब शरीर की दूसरी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचता है, और इस स्थिति का सामना करने वाले व्यक्ति को कमजोरी, थकान और सांस लेने में परेशानी होती है।  कुछ स्थितियों में  यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

हर साल 8 मई को International Thalassemia Day यानि अन्तर्राष्ट्रीय थेलेसीमिया दिवस मनाया जाता है, जिससे इस बीमारी की रोकथाम की जा सके। अन्तर्राष्ट्रीय थेलेसीमिया दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने इसकी समय पर पहचान और रोकथाम के महत्व पर जोर दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि देश में थैलेसीमिया के लगभग एक  लाख मरीज हैं और हर वर्ष लगभग 10,000 नए मामले सामने आते हैं।

अपूर्व चंद्रा ने कहा कि थैलेसीमिया के बारे में लोगों को जागरूक करना सबसे महत्‍वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अभी भी बहुत से लोगों को इस बीमारी की रोकथाम के बारे में जानकारी नहीं है। यह जरूरी है कि इस क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारक थेलेसीमिया पर जागरूकता बढ़ाने के लिये एक राष्ट्रव्यापी अभियान में सहयोग करें।