आरईसी को आईआईटी मद्रास में मिला ‘इनोवेटिव टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट अवार्ड’

सुभाष राज।

चेन्नई/गुरुग्राम – विद्युत मंत्रालय के अधीन एक महारत्न सीपीएसई और अग्रणी एनबीएफसी, आरईसी लिमिटेड को आईआईटी मद्रास सीएसआर शिखर सम्मेलन ‘बिल्डिंग इंडिया 2047: टेक्नोलॉजी फॉर बेटर टुमॉरो’ में ‘इनोवेटिव टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है।

यह पुरस्कार आईआईटी मद्रास में 2 मेगावाट रूफ टॉप सोलर प्लांट की स्थापना करने के लिए आरईसी द्वारा सीएसआर पहल के तहत उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। कैंपस में स्थापित सौर संयंत्र लगभग 3.15 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करता है और इस प्रकार आईआईटी मद्रास को कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।

तरूणा गुप्ता, कार्यकारी निदेशक (सीएसआर) और थारा रमेश, सीपीएम, क्षेत्रीय कार्यालय चेन्नई ने आरईसी लिमिटेड की ओर से पुरस्कार ग्रहण किया। समारोह में तमिलनाडु के माननीय आईटी और डिजिटल सेवा मंत्री डॉ. पलानिवेल थियागा राजन और आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि उपस्थित थे, जिन्होंने सतत विकास लक्ष्यों के प्रति आरईसी की प्रतिबद्धता की सराहना की।

आरईसी लिमिटेड, अपनी सीएसआर शाखा, आरईसी फाउंडेशन के माध्यम से, सीएसआर के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता बनाए रखता है और सतत विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर जोर देने के साथ, समाज पर गहरा प्रभाव डालने वाली परियोजनाओं को प्राथमिकता देता है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने वाली पहलों का नेतृत्व करते हुए, आरईसी ने एक हरित और पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया है।

आरईसी लिमिटेड को सीएसआर कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें 2023 में ग्लोबल सीएसआर लीडरशिप अवार्ड्स, 2023 में सीएसआर के लिए पीएसई उत्कृष्टता पुरस्कार आदि शामिल हैं।

गौरतलब है कि आरईसी विद्युत मंत्रालय के तहत एक ‘महारत्न’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। यह आरबीआई के अधीन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) और अवसंरचना वित्तपोषण कंपनी (आईएफसी) के रूप में पंजीकृत है। आरईसी उत्पादन, पारेषण (ट्रांसमिशन), वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और नई प्रौद्योगिकियों सहित संपूर्ण विद्युत-बुनियादी ढांचा क्षेत्र का वित्तपोषण कर रहा है। नई प्रौद्योगिकियों में इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी भंडारण, पंप भंडारण परियोजनाएं, हरित हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया परियोजनाएं शामिल हैं। हाल ही में आरईसी ने गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी अपने कदम रखे हैं। इनमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाईअड्डा, आईटी संचार, सामाजिक और व्यावसायिक अवसंरचना (शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल), पत्तन और इस्पात व तेल शोधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इलेक्ट्रो-मैकेनिक (ईएंडएम) कार्य शामिल हैं।

 

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