चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्म 10 दिसम्बर 1878 को दक्षिण भारत के सलेम जिले के थोराप्पली गांव में तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा होसुर में और उच्च शिक्षा मद्रास और बेंगलुरु में हुई। भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले इस महापुरुष की राजनीति में गहरी पकड़ थी, जिसके चलते कांग्रेस के तत्कालीन सभी नेता इनकी दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता का लोहा मानते रहे।
1937 में इनके नेतृत्व में कांग्रेस ने मद्रास प्रांत में विजय प्राप्त की जिसके बाद इन्हें मद्रास का मुख्य मंत्री बनाया गया। फिर 1946 में जब देश की अंतरिम सरकार बनी तब केन्द्र सरकार में इन्हें उद्योग मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1947 में देश के पूर्ण स्वतंत्र होने के बाद इन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया फिर 1948 में इन्हें स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल जैसे अति महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त हुए। 1950 में इन्हें पुन: केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्राणांत के बाद यह केन्द्रीय गृह मंत्री बनाए गए। 1952 की आम चुनाव में यह लोकसभा सदस्य बने और मद्रास के मुख्य मंत्री निर्वाचित हुए। वर्ष 1954 में इनको भारत रत्न से विभूषित किया गया। उल्लेखनीय है कि ये भारत रत्न पाने वाले पहले व्यक्ति थे।
ये विद्वान और अद्भुत लेखन प्रतिभा के धनी थे और इनके द्वारा रचित ‘चक्रवर्ति तिरुमगन’ के लिए इन्हें 1958 में तमिल साहित्य अकादमी पुरस्कार से विभूषित किया गया। ‘स्वराज’ नामक पत्र में उनके लेख निरंतर प्रकाशित होते रहते थे। इनका प्राणांत 25 दिसम्बर 1972 को मद्रास में हो गया।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 808वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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