विजेन्द्र कुमार सिंह ने बदली भारतीय मुक्केबाज़ी की पटकथा

     चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
प्रसिद्ध भारतीय मुक्केबाज़ विजेन्द्र कुमार सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा स्थित भिवानी जिला के कालूवास गाँव में महिपाल सिंह बेनीवाल के घर हुआ। इनकी माँ कृष्णा देवी गृहिणी हैं और बड़े भाई मनोज कुमार अर्जुन पुरस्कार विजेता प्रसिद्ध मुक्केबाज़ हैं, और इनके प्रेरणा-स्रोत हैं।

इन्होंने प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव कालूवास के स्कूल से पूरी की, फिर भिवानी के स्थानीय महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। मुक्केबाज़ी की शुरुआत इन्होंने भिवानी बॉक्सिंग क्लब से पूर्व राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज़ कोच जगदीश सिंह की देख-रेख में की।  इनके गृहनगर भिवानी में इन्हें ‘लिटिल क्यूबा’ के नाम से जाना जाता है क्योंकि इन्होंने कई विश्व स्तरीय मुक्केबाज़ों को प्रशिक्षण दिया है।

     इन्होंने 2004 के एथेंस ओलम्पिक में सर्वप्रथम भाग लिया फिर 2006 में अर्जुन पुरस्कार से विभूषित हुए इसके बाद 2008 में इन्होंने भारतीय मुक्केबाज़ी की पटकथा को ही बदल दी। यहां इनका कांस्य पदक किसी भी भारतीय मुक्केबाज़ी का जीता गया पहला ओलम्पिक पदक था जो भारतीय मुक्केबाज़ी के लिए आवश्यक पदक साबित हुआ।  इन्टरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन ने 2009 में इन्हें 75 किलोग्राम मध्यभार श्रेणी में दुनिया में नम्बर वन स्थान दिया। 2009 में ही राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार अपने नाम करने के बाद 2010 में ये पद्मश्री से विभूषित हुए।
ये अभिनेता अक्षय कुमार के अच्छे मित्र हैं 2014 में इन्होंने फिल्म ‘फगली’ के साथ बॉलीवुड करियर की शुरुआत की और इन्होंने सलमान खान के एक टीवी शो ‘दस का दम’ में मल्लिका शेरावत के साथ हिस्सा लिया।
विजेन्द्र कुमार सिंह के जन्म दिवस पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 802वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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