पढ़ें, बुद्धिमति बेगम ने कैसे बदल दिया बादशाह का नजरिया-उच्च कोटि के प्राचीन साहित्य अलिफ लैला में।

चिन्मय दत्ता

इंग्लैंड के टार्के में 19 मार्च 1821 को पैदा हुए सर रिचर्ड फ्रांसिस बर्टन के द्वारा अरबी भाषा में लिखी गई महान लोक कथा अल्फ लैला संसार के उच्च कोटि का प्राचीन साहित्य है। अल्फ का अर्थ एक हजार और लैला का अर्थ रात है। अलिफ लैला के नाम से प्रसिद्ध यह लोक कथा जहां अंग्रेजी में अरेबियन नाइट्स के नाम से जाना जाता है, वहीं बांग्ला में आरोब्यो रजोनी के नाम से प्रसिद्ध है। यह कहानी इतनी ज्यादा मशहूर हुई कि वर्ष 1953 में के. अमरनाथ ने फिल्म अलिफ लैला बनाई। यही नहीं 1993 से 1997 तक दूरदर्शन पर रामानंद सागर के प्रसिद्ध धारावाहिक अलिफ लैला का प्रसारण हुआ।

     इसकी रोमांचकारी कहानियां अति कल्पनाशील, तिलिस्मी एवं जादुई घटनाओं से भरी हुई है, जिसके अलग-अलग रंग बार-बार हैरत में डालते हैं। इन कहानियों में खजूर की गुठली, अलादीन और जादुई चिराग, अलीबाबा और चालीस चोर, सिंदबाद की सात समुद्री सफर प्रमुख है। जिनमें गौरव और महानता के असली रहस्य के साथ इंसान की जिंदगी का गहरा दर्शन छुपा है। इंसान को मुसीबतों का मुकाबला कैसे करना चाहिए, कठिन परिस्थितियों में कैसे जिंदा रहना चाहिए, अपने बुजुर्गों के लिए इंसान का क्या फर्ज है एवं अपने परिवार, दोस्तों और दूसरे इंसानों से किस प्रकार मोहब्बत करनी चाहिए इन सारी बातों का गूढ़ वर्णन अलिफ लैला में है।

     यह कहानियां सिद्ध करती है कि इंसान का दर्जा तमाम जीवों से ऊंचा है। वह जब तक नेकी और सच्चाई की राह पर चलेगा उसे दुनिया की कोई भी ताकत नुकसान नहीं पहुंचा सकती। कहानियों में उड़ने वाले घोड़े,जालिम जादूगर, भयानक जिन्न, खूबसूरत परियों जैसे काल्पनिक एवं साहसिक कार्य उभर कर सामने आते है। इतनी ज्ञानवर्धक एवं लोकप्रिय कहानियों की शुरूआत के पीछे भी एक रोचक कहानी है——–

            वास्तव में यह बहुत लम्बी है, मगर कम शब्दों में उसे समेटने की हमारी कोशिश है।  

     बहुत समय पहले फारस में एक बादशाह था। बादशाह के दो पुत्र थे शहरयार और शाहजमां। बादशाह के देहांत के बाद शहरयार फारस के राज सिंहासन पर बैठा। इसके साथ ही शहरयार ने अपने छोटे भाई शाहजमां को तातार देश की सत्ता सौंप दी। दस वर्षों के बाद एक दिन शहरयार को अपने छोटे भाई शाहजमां से मिलने की इच्छा हुई और उसने शाहजमां को अपने राज्य में बुलाया। भाई के बुलावे पर शाहजमां मिलने निकला। शाहजमां का काफिला कुछ ही दूर पहुंचा था कि हिमपात शुरू हो गया। आधी रात को जब हिमपात रुका तो शाहजमां ने सोचा एक बार अपनी प्रिय बेगम से मिल आऊं। जब वह बेगम के पास पहुंचा, तो उसकी बेवफाई का पता चला। परिणामस्वरूप  क्रोध में उसने अपनी बेगम की हत्या कर दी और वापस अपने शिविर में लौट गया।

     अगले दिन वह शहरयार के राजमहल पहुंचा। दोनों भाई एक-दूसरे से मिले। वहीं बेगम की बेवफाई याद कर शाहजमां उदास रहने लगा। इसी दौरान शहरयार ने शाहजमां को शिकार पर ले जाना चाहा पर उसने विनय पूर्वक टाल दिया। महल में रहकर उसने शहरयार की बेगम और महल की दसियों की बेवफाई देखी। उसने सोचा मैं तो दुखी हूं पर मेरा बड़ा भाई मुझसे भी अधिक दुखी है। इस संसार में अक्सर ऐसा होता है, यह सोच कर उसने सारी चिंता छोड़ दी और खुश रहने लगा। शिकार से लौटकर शहरयार ने शाहजमां से खुशी का कारण पूछा आखिर उसने सारी घटना सुनाई, फिर योजना बनाकर शहरयार ने  बेगम की बेवफाई अपनी आंखों से देखी।

    तदुपरांत,  दोनों यह सोच कर यात्रा पर निकल गए कि शायद हम से दुखी इस संसार में कोई और नहीं है। इसी बीच उनकी मुलाकात एक विशालकाय दैत्य के चंगुल में रहने वाली ऐसी बेवफा औरत से होती है, जो यह सिद्ध कर देती है कि औरत जो चाहती है, वह कर लेती है। दैत्य को अपनों से ज्यादा दुखी देखकर दोनों भाई फारस लौट आए, फिर शाहजमां तातार देश लौट गया। इसके बाद शहरयार का औरतों के प्रति नजरिया बदल गया। वह हर रात एक औरत से शादी करता और अगली सुबह उसकी हत्या करवा देता। इस अन्याय से हाहाकार मच गया, लोग पलायन कर दूसरे देश जाने लगे। अपने बादशाह के इस रूप से परेशान लोगों ने मंत्री से भेंट कर इस सिलसिले को रोकने की गुहार लगाई।

     मंत्री की दो बेटियां थी, शहरजाद और दुनियाजाद। शहरजाद अद्वितीय सुंदरी और तीक्ष्ण बुद्धि की थी, राजा के द्वारा किये जा रहे इस कृत्य की जानकारी उसे भी मिली। इसकी सच्चाई जानने के लिये वह एक रात नगर भ्रमण पर निकली जहां उसे सच्चाई का पता चला। उसी क्षण उसने प्रण लिया कि वह इस मुश्किल का हल निकालेगी। शहरजाद ने मंत्री पिता से कहकर शहरयार के सामने अपनी शादी का प्रस्ताव भेजा। जिसे सुनकर मंत्री एवं शहरयार दोनों ने इंकार कर दिया, मगर शहरयार अपनी जिद पर अड़ी रही। अंत में शहरजाद की शहरयार से शादी हो गई।

अपनी योजना के तहत उस रात शहरजाद ने बादशाह से आज्ञा लेकर अपनी बहन दुनियाजाद को अपने ही कक्ष में दूसरी ओर सुलाया। जब एक घड़ी रात रह गई तो दुनियाजाद ने शहरजाद को जगा कर कहा दीदी कोई कहानी सुनाओ। शहरजाद, बादशाह से अनुमति लेकर दुनियाजाद को कहानी सुनाने लगी। कहानियों का यह सिलसिला एक हजार एक रातों तक चलता रहा। इतने लंबे समय में रोमांचक एवं इंसानियत को दर्शाने वाली कहानियों को सुनकर शहरयार का औरतों के प्रति नजरिया बदल गया। वह समझ गया कि हर औरत बेवफा नहीं होती है और ना ही हर मर्द वफादार होते हैं। अंत में, उसने शहरजाद को विधिवत सम्मान देकर अपनी बेगम बना लिया।

रोचक कहानियों के एलबम से निकली एक कहानी अल्फ लैला की संक्षिप्त प्रस्तुति आपको कैसी लगी, हमें अपने महत्वपूर्ण कमेंट नीचे जरूर भेजें। धन्यवाद।