सत्तर के दशक की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री रहीं नूतन

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
सत्तर के दशक की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री नूतन का जन्म भारत के बंबई प्रेसिडेंसी में 4 जून 1936 को कुमारसेन समर्थ के घर हुआ। इनकी माँ फिल्म अभिनेत्री शोभना समर्थ इनकी प्रेरणा स्रोत बनीं। बाल कलाकार के रूप में नूतन ने 1945 की ‘नल दमयन्ती’ से अभिनय की दुनिया में कदम रखा।
1952 में इन्हें मिस इंडिया का ताज पहनाया गया।  इसके बाद सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की छह फिल्मफेयर अवार्ड इन्होंने अपने नाम किये जो क्रमशः 1956 में ‘सीमा’, 1959 में ‘सुजाता’, 1963 में बंदिनी, 1967 में ‘मिलन’ और 1978 में ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ है। इसके अलावा 1974 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री से विभूषित किया फिर 1985 में इन्होंने ‘मेरी जंग” के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्म फेयर अवार्ड अपने नाम किया।
नूतन ने 11 अक्टूबर 1959 नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल से विवाह किया। नूतन के पुत्र मोहनीश बहल ही टेलीविजन और फिल्म के प्रसिद्ध अभिनेता नहीं है बल्कि अभिनय के क्षेत्र में नूतन की बहन तनुजा भी प्रसिद्धि की दौर से गुजरी हैं और इसी तरह तनुजा की पुत्री काजोल प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं।
फिल्मी दुनिया में एक के बाद एक सफल फिल्में देने के बाद 21 फरवरी 1991 को नूतन ने इस दुनिया से विदा ले लिया लेकिन इनकी आखिरी फिल्म इंसानियत 1994 मे प्रदर्शित हुई जिसमें इन्होंने शांति देवी की भूमिका निभाई थी। 2011 में भारतीय डाक ने इनके नाम डाक टिकट भी जारी किए।
4 जून को नूतन की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 781वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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