उषा पाठक
वरिष्ठ पत्रकार।
नयी दिल्ली, (एजेंसी)
इन दिनों दिल्ली में चर्चित पूर्वांचली नेता के रूप में महाबल मिश्रा का नाम लिया जाता है। पार्षद से विधायक और विधायक से सांसद बनने के साथ एक पूर्वांचली नेता के रूप में स्थापित होने वाले पूर्व सांसद महाबल मिश्रा हमेशा से ही मेहनतकश एवं लगनशील रहे हैं।
बिहार के मधुबनी जिले के सिरियापुर गांव में 31जुलाई 1953 को जन्मे महाबल मिश्रा ने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद जीविकोपार्जन के लिए नौकरी की। उन्होंने वर्ष 1997 में दिल्ली में कांग्रेस से पार्षद का चुनाव जीतकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की। वर्ष 1998 में दिल्ली विधान सभा के लिए चुने गए। तीन बार विधायक रहने के उपरांत वर्ष 2009 में कांग्रेस से लोक सभा सदस्य चुने गए और देखते ही देखते दिल्ली में पूर्वांचली चेहरा बन गए।
कांग्रेस के मुखर सांसद रहे महाबल मिश्रा की शादी वर्ष 1966 में धर्मपरायण महिला उर्मिला से हुयी। दोनों के दो पुत्र एवं एक पुत्री है। एक पुत्र विनय मिश्रा दिल्ली विधान सभा में आम आदमी पार्टी से विधायक हैं। वह अपने पिता के पद चिह्नों पर चलते हुए इलाके में युवा नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं।
गत वर्ष कांग्रेस छोड़ आप में शामिल हुए पूर्व सांसद महाबल मिश्रा कहते हैं कि वर्तमान समय में राजनीति में सेवा भाव एवं मूल्यों में काफी कमी आयी है। विचारधारा की बात अब प्रभावी नहीं रह गयी है। निजी स्वार्थ हावी है। यह लोकतंत्र एवं समाज के लिए ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि अपने तीन दशक की जनसेवा में लाखों लोगों को बसाने, उन्हें पानी, बिजली,शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए दिन-रात एक कर दिया। लोगों ने भी उन्हें काफी प्यार दिया। इसके लिए वह अभारी हैं।
मोदी लहर में वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में हार का जिक्र करते हुए कहते हैं कि उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी। अपने क्षेत्र की जनता पर पूरा भरोसा था। खासकर पूर्वांचल समाज पर नाज था। उन्होंने कहा कि छठ घाटों के निर्माण से लेकर इस मौके पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करवाने,दिल्ली में भोजपुरी मैथिली अकादमी की स्थापना एवं पूर्वांचल वासियों के सम्मान की रक्षा के लिए कई मौके पर उन्हें लड़ना पड़ा।एल.एस।