मीमांसा डेस्क, नई दिल्ली।
खजुराहो एक प्राचीन शहर है जो अपने भव्य मंदिरों एवं विस्तृत मूर्तियों के लिए जाना जाता है। यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के तौर पर ख्यात खजुराहो समूह के स्मारकों का निर्माण चंदेल राजवंश द्वारा 950-1050 ईस्वी के बीच करवाया गया था।
बेहद बारीक और विस्तृत कारीगरी वाली मूर्तियों से अलंकृत नागर शैली की इस वास्तुकला का सौंदर्य उस समय की सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथाओं से परिचय करवाता है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 12वीं शताब्दी ईस्वी में खजुराहो में मंदिर स्थल में 85 मंदिर थे, जो 20 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए थे। हालांकि, आज इनमें से केवल 25 मंदिर ही बचे हैं जो 6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं।
संस्कृति मंत्रालय 22 से 25 फरवरी 2023 तक मध्य प्रदेश के खजुराहो में संस्कृति कार्य समूह (सीडब्ल्यूजी) की पहली बैठक का आयोजन कर रहा है। पहली बैठक के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने कहा, “भारत संस्कृति में इतना समृद्ध और विविधता भरा है कि ये सांस्कृतिक जुड़ाव अपना एक अलग ही महत्व हासिल कर लेता है। जी-20 की व्यापक थीम “वसुधैव कुटुम्बकम”- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है। गोविंद मोहन ने ये भी कहा कि इस संस्कृति कार्यसमूह की चार बैठकें होंगी। वे खजुराहो, भुवनेश्वर, हम्पी में होंगी और आखिरी स्थल तय किया जाना बाकी है। उन्होंने ये भी बताया कि खजुराहो के लिए थीम है- “सांस्कृतिक संपदा का संरक्षण और बहाली।”
दरअसल, भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम को प्रकट करते हुए 1 दिसंबर 2022 को जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का उद्देश्य है- समग्रतापूर्ण जीवन जीने और लोगों के अनुकूल धरती बनाने का प्रयास करते हुए सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक परंपराओं की विविधता को बढ़ावा देना, उत्सव मनाना और उन्हें शामिल करना। सीडब्ल्यूजी भारत के चार ऐतिहासिक शहरों में चार बैठकों के माध्यम से विकसित होगा और चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर जी-20 संवाद को आगे बढ़ाएगा।