सारिका झा, नई दिल्ली।
उद्योग समूह एसोचैम ने इलनेस टू वेलनेस अभियान के तहत, बदलते मौसम और संक्रमण-मौसम बदलने के दौरान फ्लू के प्रकोप विषय पर 25 अगस्त को एक वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में दिल्ली और एनसीआर के प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञों के समूह ने मिलकर इस पर सहमति व्यक्त की कि रोगी के लक्षणों के आधार पर कोविड, इन्फ्लूएंजा और एलर्जी के बीच अंतर करने से बीमार का इलाज प्रभावी तरीके से होगा और साथ ही इसकी रोकथाम भी हो सकेगी।
दरअसल, भारत में मानसून के समय में बड़ी आबादी पर इन्फ्लूएंजा वायरस का असर होता है, जिससे उन्हें सर्दी, बुखार जैसी बीमारी का सामना करना पड़ता है। हालांकि, इन्फ्लूएंजा सर्दियों में चरम पर होता है। क्षेत्रीय जलवायु अंतर के कारण, पूरे देश में इन्फ्लूएंजा का मौसम अलग-अलग होता है।
एसोचैम सीएसआर काउंसिल के अध्यक्ष अनिल राजपूत ने कहा कि भारत में इन्फ्लुएंजा वायरस का प्रकोप आमतौर पर सर्दी और बरसात के मौसम में पीक पर होता है। वास्तव में, तापमान, वर्षा, उमस, ठंड और शुष्क मौसम जैसे कारक भारत में फ्लू के प्रकोप की मौसमी प्रवृत्ति में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।”
उन्होंने कहा, “पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ संतुलित आहार खाना, मौसम के अनुकूल कपड़े पहनना, भरपूर नींद लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना और सफाई रखने जैसे कुछ ऐसे उपाय हैं जो इस मौसमी बीमारी से बचने के लिए किए जाने चाहिए”। .
पीएसआरआई अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट-पल्मोनोलॉजिस्ट क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन, डॉ. नीतू जैन के अनुसार, टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण कदम है जो लोग खुद को इन्फ्लूएंजा से बचाने के लिए उठा सकते हैं। उन्होंने हाइलाइट किया जबकि इन्फ्लूएंजा सामान्य रूप से एक सप्ताह तक रहता है, लेकिन इसके कारण कोविड लंबे समय तक रह सकता है और अधिक गंभीर हो सकता है।
डॉ छवि गुप्ता, सलाहकार संक्रामक रोग फोर्टिस अस्पताल, नोएडा की संक्रामक रोग सलाहकार डॉ छवि गुप्ता, का कहना है कि फ्लू होने से पहले फ्लू शॉट प्राप्त करें। श्वसन के जरिये संक्रमण भारत में बीमारी और मृत्यु दर के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक हैं। इंफ्लूएंजा का संक्रमण भी कुछ इसी तरह होता है। वहीं, आर्टेमिस हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट, नमन बंसल ने कहा कि इन्फ्लूएंजा के 90% से अधिक मामले हल्के होते हैं। एक उचित श्वास व्यवस्था के बाद, जीवनशैली में बदलाव, एक नियमित आहार व्यक्ति की स्थिति में सुधार कर सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बड़ी स्वास्थ्य परेशानियों से बचने के लिए अधिक जोखिम वाली आबादी को एंटी-इन्फ्लूएंजा टीका लेने की सलाह देते हैं। ऐसे पीड़ितों को पर्याप्त उपचार की तलाश करनी चाहिए।
वहीं, डॉ राजेश केसरी, संस्थापक और निदेशक टोटल केयर कंट्रोल, दिल्ली – एनसीआर ईसी सदस्य, आरएसएसडीआई कहते हैं कि फ्लू के लक्षण एलर्जी या यहां तक कि कोविड -19 के साथ मिलते- जुलते हो सकते हैं, इसलिए सर्दी होने पर डॉक्टर से परामर्श करना बेहतर है। ध्यान रहे, खांसी बुखार, गले में खराश और अत्यधिक घरेलू उपचार से बचें।