सारिका झा, नई दिल्ली।
आजादी की वर्षगांठ पर सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. राजेश आचार्य ने 125वीं हाफ मैराथन (21 किमी दौड़) सफलतापूर्वक पूरी की। डॉ राजेश आचार्य, दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में एक वरिष्ठ न्यूरोसर्जन हैं।
हमारे देश के स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर उन्होंने इस उपलब्धि को सभी स्वतंत्रता सेनानियों एवं विशेष रूप से राजस्थान के भीलवाड़ा जिला स्थित गंगापुर के निवासी उनके दादा स्वर्गीय राम चंद्र जी आचार्य, को समर्पित किया। स्वर्गीय राम चंद्र जी आचार्य का बचपन बहुत ही उथल-पुथल भरा रहा क्योंकि उन्होंने लगभग 2 वर्ष की छोटी उम्र में ही अपनी मां को खो दिया।उनका पालन-पोषण उनके मामा ने किया था।
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मैट्रिक तक की पढ़ाई के बाद, उन्हें प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया। वे आरएसएस के बहुत सक्रिय कार्यकर्ता थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, उन्हें सेवा से हटा दिया कर दिया गया था। उनपर लगातार लाठीचार्ज किया और कई बार वह जेल गए। आजादी के बाद सरकार ने उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता दी, जिसके लिए उन्हें जीवित रहने तक पेंशन प्रदान किया गया।उनके अनुकरणीय सेवाओं और बलिदान के लिए, उन्हें गंगापुर के पास जमीन का एक टुकड़ा भी दिया गया था, जिसे उन्होंने आम लोगों की भलाई के लिए दान कर दिया था।
पूरे आचार्य परिवार और गंगापुर के लोगों को इस बात का गर्व था कि 2005 में उनके निधन पर उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगे) में लपेटकर अंतिम संस्कार किया गया और राजकीय सम्मान के साथ 21 तोपों की सलामी दी गई। इस बारे में डॉ. राजेश आचार्य ने कहा कि उनके लिये यह स्वर्णिम घटना है। उन्होंने कहा कि उनके लिये आचार्य परिवार से जुड़े रहना गर्व एवं सौभाग्य की बात है।